शब्द का अर्थ
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					गार					 :
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					पुं० [अ० गार] १. नीची जमीन। २. गड्ढा। ३. जंगली जानवरों के रहने की माँद। ४. कंदरा। गुफा। वि० [फा०] एक विशेषण जो संयुक्त पदों के अंत में अव्यय की तरह लगकर ये अर्थ देता है–(क) करनेवाला, जैसे–खिदमतगार, गुनहगार, सितमगार। (ख) साधन। जैसे–रोजागार (अर्थात् रोज का साधन)। स्त्री०=गाली। उदाहरण–सुनहुँ ब्रज बसि स्रवन मैं ब्रज बासिनिन की गार।–नागरीदास। पुं०=गारा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गारत					 :
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					स्त्री० [अ.] लूट-मार। वि.-ध्वस्त। नष्ट। बराबद।				 | 
			
			
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					गारद					 :
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					स्त्री० [अं.गार्ड] १.सिपाहियों और सैनिकों का वह छोटा दल या दस्ता जो किसी स्थान की रक्षा के लिए नियुक्त किया गया हो। २.पहरा। मुहावरा-गारद में रखना=पहरे में रखना (अपराधियों आदि के)।				 | 
			
			
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					गारना					 :
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					स० [सं० गालन] १.निचोड़ना। २. पानी के साथ घिस या रगड़कर किसी चीज या रस या सार भाग निकालना। जैसे–चंदन गारना। ३. पानी में डालकर किसी चीज को गलाना या घुलाना। ४. गिराना,निकालना या बहाना। जैसे–आँसू गारना। उदाहरण–तुम कटु गरल न गारो।–मैथिलीशरण। ५. निकाल या हटाकर अलग या दूर करना। ६. त्यागना। ७. खोना। गँवाना। ८. क्षीण या नष्ट करना। जैसे–तपस्या करके शरीर गारना। ९. किसी का अभिमान चूर्ण करना। उदाहरण–द्रौपदी को चीर बढ्यौ दुस्सासनै गारी।–सूर।				 | 
			
			
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					गारभेली					 :
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					स्त्री० [देश०] एक प्रकार का जंगली फलसे का वृक्ष जो पूर्वी भारत तथा हिमालय की तराई में होता है।				 | 
			
			
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					गारा					 :
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					पुं० [हिं० गारना] १. दीवारों आदि की जुड़ाई करने के लिए मिट्टी को पानी में सानकर तैयार किया हुआ लसदार घोल। २. उक्त काम के लिए सुर्खी, चूने आदि का तैयार किया हुआ मसाला। ३. मछलियों के खाने का वह चारा जो उन्हें फँसाने के लिए बंसी में लगाया जाता है। उदाहरण–नेह नीर बंसी नयन, बतरस गारौ लाई। विक्रम सतसई। वि० १. गीला। तर। २. उदासीन। खिन्न। मुहावरा–जी गारा करना=किसी की ओर से उदासीन या खिन्न होना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० [अ० गार?] वह नीची भूमि जहाँ वर्षा का पानी जमा होता हो। पुं० [?] दोपहर के समय गाया जानेवाला संकीर्ण जाति का एक राग। मुहावरा–गारा करना=विस्तारपूर्वक और बार-बारकोई बात कहना या सुनना।				 | 
			
			
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					गारा कान्हड़ा					 :
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					पुं० [देश०] संपूर्ण जाति का एक संकर राग जो संध्या समय गाया जाता है।				 | 
			
			
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					गारि					 :
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					स्त्री०=गाली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गारी					 :
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					स्त्री०=गाली।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गारु					 :
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					वि० [सं० गुरु] भारी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					गारुड़					 :
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					वि० [सं० गरुड़+अण्] गरुड़ संबंधी। गरुड़ का। पुं० १. साँप का विष उतारने का एक प्रकार का मंत्र जिसके देवता गरुड़ कहे गये है। २. गरुड़ के आकार की एक प्रकार की सैनिक व्यूह रचना। ३. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। ४. पन्ना या मरकत नामक रत्न। ५. सोना। स्वर्ण। ६. गरुड़ पुराण।				 | 
			
			
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					गारुड़ि					 :
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					पुं० [सं० गरुड़+इञ्] १. संगीत में आठ प्रकार के तालों में से एक। २. दे० ‘गारुड़ी’।				 | 
			
			
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					गारुड़िक					 :
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					पुं०=गारुड़ी।				 | 
			
			
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					गारुड़ी(ड़िन्)					 :
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					पुं० [सं० गारुड़+इनि] १. वह व्यक्ति जो साँप का विष मंत्रबल से उतार देता हो। २. मंत्र से अथवा और किसी प्रकार साँप पकड़ने अथवा उसे वश में करनेवाला व्यक्ति। ३. सँपेरा।				 | 
			
			
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					गारुत्मत					 :
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					पुं० [सं० गरुत्मत्+अण्] १. मरकत का पन्ना नामक रत्न। २. गरुड़ का अस्त्र।				 | 
			
			
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					गारुरी					 :
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					पुं०-गारूड़ी। उदाहरण–जाँवत गुनी गारुरी आवे।–जायसी।				 | 
			
			
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					गारो (रौ)					 :
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					पुं० [सं० गर्व] १. अभिमान। गर्व। उदाहरण–क्षुद्र पतित तुम तारि रमापति अब न करौ जिय गारौ।–सूर। २. गौरव। ३. प्रतिष्ठा। मान।				 | 
			
			
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					गार्ग					 :
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					वि० [सं० गर्ग+अण्] गर्ग संबंधी।				 | 
			
			
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					गार्गि					 :
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					पुं० [सं० गर्ग+इञ्] गर्ग मुनि का पुत्र या वंशज।				 | 
			
			
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					गार्गी					 :
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					स्त्री० [सं० गर्ग+यञ्-ङीष्,यलोप] १. गर्ग गोत्र की एक प्रसिद्ध ब्रह्मवादिनी विदुषी जिसकी कथा वृहदारण्यक उपनिषद् में है। यह याज्ञवल्क्य की पत्नी थी। २. दूर्गा।				 | 
			
			
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					गार्गीय					 :
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					वि० [सं० गर्ग+छञ्-ईय] [वि० स्त्री० गार्गेयी] १. जिसका जन्म गर्ग गोत्र में हुआ हो। २. गर्ग संबंधी।				 | 
			
			
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					गार्ग्य					 :
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					वि० [सं० गर्ग+यञ्] –गार्गेय। पुं० एक प्राचीन वैयाकरण का नाम।				 | 
			
			
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					गार्जर					 :
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					पुं० [सं० गर्जर+अण्] गाजर नामक कंद।				 | 
			
			
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					गार्ड					 :
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					पुं० [अं०] १. पहरा देनेवाला व्यक्ति। २. रक्षा करनेवाला व्यक्ति। रक्षक। ३. देख-रेख या निगरानी करनेवाला व्यक्ति। निरीक्षक। ४. रेलवे का वह अधिकारी जो रेलगाड़ी के साथ उसकी देख-रेख और व्यवस्था करने के लिए रहता है।				 | 
			
			
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					गार्डन					 :
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					पुं० [अं०] उद्यान। बगीचा।				 | 
			
			
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					गार्डन-पार्टी					 :
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					स्त्री० [अं०] उद्यान-गोष्ठी।				 | 
			
			
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					गार्दभ					 :
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					वि० [सं० गर्दभ+अण्] गर्दभ-संबंधी। गधे का।				 | 
			
			
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					गार्ध्र					 :
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					वि० [सं० गृध्र+अण्] गृध्र-संबंधी। पुं० १. लालच। लोभ। २. तीर। बाण।				 | 
			
			
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					गार्भ					 :
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					वि० [सं० गर्भ+अण्] १. गर्भ संबंधी। गर्भ का। २. गर्भ से उत्पन्न होनेवाला। पुं० वे सब काम जो गर्भ के पोषण, रक्षण आदि के लिए किये जाते हो।				 | 
			
			
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					गार्हपत्य					 :
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					वि० [सं० गृहपति+ञ्य] गृहपति संबंधी। पुं० १. गृहपति होने की अवस्था पद या भाव। २. दे० गार्हपत्याग्नि।				 | 
			
			
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					गार्हपत्याग्नि					 :
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					स्त्री० [सं० गार्हपत्य-अग्नि,कर्म० स०] छः प्रकार की अग्नियों में पहली और प्रधान अग्नि जिसका रक्षण गृहपति का कर्तव्य होता था।				 | 
			
			
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					गार्हपात					 :
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					वि० [सं० गृहपति+अण्] गृहपति संबंधी। पुं० गृहपति का अभाव। गृहपतित्व।				 | 
			
			
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					गार्हमेध					 :
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					पुं० [सं० गार्ह, गृह+अण्, गार्ह-मेध, कर्म० स०] गृहस्थ के लिए आवश्यक धार्मिक कृत्य या यज्ञ। पंच महायज्ञ।				 | 
			
			
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					गार्हस्थ्य					 :
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					पुं० [सं० गृहस्थ+ष्यञ्] १. गृहस्थ होने की अवस्था या भाव। २. गृहस्थाश्रम। ३. पंच महायज्ञ।				 | 
			
			
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					गार्हस्थ्य-विज्ञान					 :
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					पुं० [ष० त०] वह विज्ञान जिसमें घर के काम-काज (जैसे खाना पकाना, सीना पिरोना, बच्चे पालना आदि) संबंधी बातें बताई जाती है। (डोमेस्टिक सायन्स)				 | 
			
			
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