शब्द का अर्थ
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					खज					 :
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					वि० [सं० प्रा.खज्जखाद्य] (वह) जो खाया जाने को हो अथवा खाने जोने के योग्य हो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					खजक					 :
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					पुं० [सं०√खज् (मथना)+अच्+कन्] मथानी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					खजप					 :
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					पुं० [सं० खज्+कपन्] घी।				 | 
			
			
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					खजमज					 :
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					वि० [अनु.] साधारण से गिरा हुआ। कुछ खराब। जैसे–आज तबीयत कुछ खजमज है।				 | 
			
			
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					खजमजाना					 :
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					अ० [अनु.] (तबीयत) कुछ भारी लगना। अस्वस्थता सी जान पड़ना।				 | 
			
			
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					खजला					 :
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					पुं०=खाजा। (मिठाई)।				 | 
			
			
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					खजलिया					 :
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					पुं० [देश.] अंगूर का एक रोग जिसमें उसके पत्ते सड़ने लगते हैं।				 | 
			
			
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					खजहजा					 :
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					पुं० [सं० खाद्याद्य<प्रा. खज्जज्ज< खजहज्ज, खजहजा] १. खाने योग्य उत्तम फल या मेवा। खाजा। उदाहरण-और खजहजा आव न नाऊँ।–जायसी। २. खाजा नामक पकवान।				 | 
			
			
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					खजा					 :
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					स्त्री० [सं०√खज्+अप्+टाप्] १. मथानी। २. प्रतियोगिता। ३.युद्ध।				 | 
			
			
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					खजाना					 :
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					पुं० [ अ० ख़जानः] १. किसी व्यक्ति, संस्था आदि की संचित धनराशि। (ट्रेजर) २. वह स्थान जहाँ पर संचित की गई धनराशि रखी जाती है। (ट्रेजरी) ३. वह भवन या स्थान जहाँ किसी राज्य या संस्था की आय का धन रहता है और जहाँ से व्यय के लिए धन निकलता है। (ट्रेजरी) ४ कर या राजस्व जो खजाने में जमा करना पड़ता है। ५. वह स्थान जहाँ पर कोई चीज बहुत अधिकता में पाई जाती अथवा होती है। भांडार। मुहावरा–खुले खजाने=सबके सामने या देखते हुए। खुलेआम। खुलकर। ६. किसी उपकरण या उपयोग में आने वाली वस्तु का वह विशिष्ट अंश या विभाग जिसमें उसकी आवश्यक सामग्री भरकर रखी जाती है। जैसे–(क) बन्दूक का खजाना अर्थात वह जगह जिसमें बारूद भरी जाती है। (ख) लालटेन का खजाना, जिसमें तेल भरा जाता है।				 | 
			
			
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					खजित्					 :
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					पुं० [सं० ख√जि (जीतना)+क्विप्] एक प्रकार के शून्यवादी बौद्ध।				 | 
			
			
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					खजिल					 :
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					वि० [फ़ा] लज्जित। शर्मिंदा।				 | 
			
			
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					खज़ीना					 :
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					पुं०=खजाना। भांडारा। उदाहरण–पीया को प्रभु परचो दीन्हो दियारे खजीना पूर।–मीराँ।				 | 
			
			
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					खजुआ					 :
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					पुं० १. =खाजा। (पकवान) २. दे. ‘भरवाँस’ (अन्न)।				 | 
			
			
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					खजुरहट					 :
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					स्त्री० [हिं० खजूर] नैपाल की तराई में होने वाला एक प्रकार का छोटा खजूर जिसकी पत्तियाँ चटाई बनाने के काम आती हैं, पर फल किसी काम का नहीं होता। स्त्री०=खुजली।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खजुरा					 :
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					पुं०=खजूरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खजुराही					 :
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					स्त्री० [हिं० खजूर] वह प्रदेश या स्थान जहाँ खजूरों के बहुत से पेड़ हों।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खजुरिया					 :
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					स्त्री० [सं० खर्जूरिका] १. छोटे फलों वाली खजूर। २. खजूर नाम की मिठाई। ३. एक प्रकार की ईख।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० खजूर संबंधी। खजूरी।				 | 
			
			
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					खजुलाना					 :
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					सं०=खुजलाना।				 | 
			
			
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					खजुली					 :
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					स्त्री० १. =खुजली। २. =खजूरी।				 | 
			
			
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					खजुवा					 :
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					पुं० =खाजा (पकवान)।				 | 
			
			
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					खजूर					 :
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					स्त्री० [सं० खर्जूर, प्रा. खज्जूर, पा. खज्जूरी, ब०खाजूर, उ. खजुरी, सि० खजूरी] १. ताड़ की तरह का एक पेड़ जो प्रायः रेगिस्तान में होता है और जिसमें बेर के आकार के लंबोतरे मीठे फल लगते हैं। २. उक्त पेड़ का मीठा फल जो खाया जाता है। ३. आटे, घी, शक्कर आदि के संयोग से एक बनने वाली एक प्रकार की मिठाई।				 | 
			
			
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					खजूर छड़ी					 :
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					स्त्री० [हिं० खजूर+छड़ी] एक प्रकार का रेशमी कपड़ा जिसपर खजूर की पत्तियों की तरह की तरह धारी या बेल बनी होती है।				 | 
			
			
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					खजूरा					 :
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					पुं० [हिं० खजूर] १. फूस से छाई हुई छत की बँड़ेर जो प्रायः खजूर की होती है। मँगरा। २. कई लड़ो का बँटा हुआ वह डोरा जिसमें स्त्रियाँ चोटी गूँथती हैं। चोटी। ३. दे. ‘कन-खजूरा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खजूरी					 :
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					वि० [हिं० खजूर] १. खजूर संबंधी। खजूर का। २. आकार-प्रकार के विचार से खजूर की तरह का। ३. तीन लड़ों में गूँथा हुआ। जैसे–खजूरी चोटी। (स्त्रियों की)।				 | 
			
			
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					खजेहजा					 :
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					पुं०=खजहजा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					खजोहरा					 :
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					पुं० [सं० खर्जु, हिं० खाज] एक तरह का रोएँदार छोटा कीड़ा जिसके स्पर्श से खुजली होने लगती है।				 | 
			
			
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