शब्द का अर्थ
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					कांस्य					 :
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					पुं० [सं० कांस+यञ्] कांसा। कसकुट। (धातु)। वि०१. काँसे का बना हुआ। २. काँसे से संबंध रखनेवाला। काँसे का।				 | 
			
			
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					कांस्य-ताल					 :
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					पुं० [मध्य० स०] ताल या मँजीरा नामक बाजा।				 | 
			
			
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					कांस्य-दोहनी					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] कांस्य का बना हुआ दूध दूहने का पात्र।				 | 
			
			
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					कांस्य-मल					 :
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					पुं० [ष० त०] ताँबे-पीतल आदि धातुओं में लगनेवाला जंग या मोरचा।				 | 
			
			
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					कांस्य-युग					 :
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					पुं० [ष० त०] पुरातत्त्व में प्रागैतिहासिक काल का वह विभाग जो प्रस्तर युग के बाद और लौह-युग के पहले माना जाता है और जिसमें औजार, हथियार आदि काँसे के ही बनते थे। ताम्रयुग। (ब्रांज एज)।				 | 
			
			
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					कांस्यक					 :
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					पुं० [सं० कास्य+कन्] पीतल।				 | 
			
			
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					कांस्यकार					 :
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					पुं० [सं० कास्य√कृ (करना)+अण्] कसेरा। ठठेरा।				 | 
			
			
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