शब्द का अर्थ
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					काँच					 :
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					स्त्री० [सं० कक्ष, प्रा० कच्छ] १. धोती का वह सिरा जो दोनों जाँघों के बीच में से ले जाकर कमर में खोंसा जाता है। लाँग। मुहावरा—काँख खोलना=(क) साहस छोड़कर किसी काम से पीछे हटना, फलतः अपनी कायरता प्रकट करना। (ख) प्रसंग या संयोग करना। २. गुदेंद्रिय के भीतर का भाग। गुदाचक। गुदावर्त। मुहावरा—काँच निकलना=आघात, दुर्बलता, परिश्रम आदि के कारण गुदा-चक्र का बाहर निकल आना जो एक प्रकार का रोग है। पुं० [सं० काच] एक प्रसिद्ध चमकीला, पारदर्शक और स्वच्छ पदार्थ जो बालू (रेह) सोडा, चूने आदि के योग से बनाया जाता है और जिससे चूडियाँ दर्पण, बोतलें आदि बनते हैं। शीशा। (ग्लास)। स्त्री० [हिं० कच्चा] कच्ची धातु।				 | 
			
			
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					कांचन					 :
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					पुं० [सं०√कांच् (दीप्ति)+ल्युट-अन] [वि० कांचनीय] १. सोना। स्वर्ण। २. धन-संपत्ति। ३. ऐश्वर्य। ४. कचनार। ५. चंपा। ६. नागकेसर। ७. गूलर। ८. धतूरा। वि० १. उत्तम। श्रेष्ठ। २. परम सुन्दर।				 | 
			
			
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					कांचन-गिरि					 :
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					पुं० [ष० त०] सुमेरु पर्वत।				 | 
			
			
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					कांचन-पुरुष					 :
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					पुं० [ष० त०] सोने की वह मूर्ति जो मृतक के श्राद्ध के समय शय्या पर रखकर दान की जाती है।				 | 
			
			
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					कांचनक					 :
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					पुं० [सं० काँचन+कन्] १. हरताल। २. चंपा। (पौधा और फूल)।				 | 
			
			
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					कांचनचंगा					 :
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					पुं० [सं० कांचनश्रृंग] नैपाल और शिकम के बीच में स्थित हिमालय की एक चोटी।				 | 
			
			
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					कांचनार					 :
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					पुं० [सं० कांचन√ऋ(गति)+अण्] कचनार।				 | 
			
			
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					कांचनी					 :
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					स्त्री० [सं० कांचन+ङीष्] १. हल्दी। २. गोरोचन। वि०=कांचनीय।				 | 
			
			
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					कांचनी (ली)					 :
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					स्त्री० केंचुली।				 | 
			
			
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					कांचनीय					 :
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					वि० [सं० कांचन+थ-ईय] १. सोने से या सोने का बना हुआ। कंचन या कांचन का। २. जिसने सोने की-सी आभा हो।				 | 
			
			
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					काँचा					 :
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					वि० [सं० काँच] जो काँच के समान जल्दी टूट जानेवाला हो। वि० दे० ‘कच्चा’।				 | 
			
			
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					कांची					 :
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					स्त्री० [सं०√कांच्+इन्+ङीष्] १. स्त्रियों के पहनने की एक प्रकार की करधनी जिसमें छोटी-छोटी घंटियाँ लगी होती है। २. प्राचीन भारत की सात पवित्र नगरियों में से एक कांजीवरम्। ३. घुँघची। ४. कपड़ों पर टाँकने का गोटा-पट्टा।				 | 
			
			
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					काँचुअ					 :
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					स्त्री० [सं० कंचुकी] अँगिया। चोली।				 | 
			
			
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					काँचुरी (ली)					 :
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					स्त्री०=कंचुली। उदाहरण—ज्यों काँचुरी भुअंगय तजही।—सूर।				 | 
			
			
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					काँचू					 :
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					पुं० [सं० कंचुल] केंचुली। स्त्री०=कंचुकी। (चोली)। वि० [हिं० काँच] १. (पदार्थ) जो काँच की तरह भंगुर हो। २. (व्यक्ति) जिसे काँच का रोग हो। ३. विकट अवसरों पर कांच खोल देनेवाला अर्थात् कायर या डरपोक। वि० कच्चा।				 | 
			
			
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