शब्द का अर्थ
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					कमल					 :
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					पुं० [सं०√कम्+णिङ्+कलच्] १. जलाशय में होनेवाला एक प्रसिद्ध पौधा तथा उसके फूल जो चौड़ी पंखुड़ियोंवाले तथा अति मनोहर और सुगंधित होते हैं। मुहा०—(किसी का) कमल खिलना=प्रसन्न होना। २. उक्त फूल के आकार का एक मांस-पिंड जो पेट में दाहिनी ओर होता है। क्लोम। ३. हठयोग के अनुसार शरीर के अंदर कुछ विशिष्ट स्थान जो चक्र कहलाते हैं। (दे० ‘चक्र’) ४. आँख का डेला। ५. एक प्रकार का पित्त रोग जिसमें सारा शरीर विशेषतः आँखें पीली पड़ जाती हैं। पीलिया। पीलू। (जाइन्डाइस) ६. योनि के अदर की एक गाँठ जिसका आकार कमल के फूल का-सा होता है। मुहा०—कमल उलट जाना=बच्चेदानी का मुँह उलट जाना। ७. मूत्राशय। ८. संगीत में ध्रुवताल का एक प्रकार या भेद। ९. एक राग जो दीपक राग का पुत्र कहा गया है। १॰ छः मात्राओं का एक छंद। ११. छप्पय का एक प्रकार या भेद। १२. जल। पानी। १३. ताँबा। १४. शीशे का बना हुआ एक प्रकार का फूलदार आधान जिसमें मोमबत्तियाँ जलाई जाती हैं। १५. ऐसा रत्न-खंड जिसमें कमल के फूल की तरह पहल कटे हों।				 | 
			
			
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					कमल अंडा					 :
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					पुं० =कमलगट्टा।				 | 
			
			
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					कमल-ककड़ी					 :
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					स्त्री० [सं० कमल+हिं० ककड़ी] कमल का डंठल या नाल। भसींड।				 | 
			
			
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					कमल-कंद					 :
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					पुं० [पं० त०] कमल की जड़ जिसकी तरकारी बनाई जाती है। भसौंड।				 | 
			
			
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					कमल-गट्टा					 :
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					पुं० [सं० कमल+हिं० गट्टा] कमल के बीज जिनके अंदर मीठी गरी या गूदा होता है।				 | 
			
			
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					कमल-गर्भ					 :
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					पुं० [ष० त०] कमल का छत्ता जिसमें बहुत-से बीज होते हैं।				 | 
			
			
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					कमल-नयन					 :
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					वि० [ब० स०] जिसके नयन कमल की पंखुड़ियों के समान लंबे तथा सुंदर हों। बहुत ही सुंदर नेत्रोंवाला। पुं० विष्णु।				 | 
			
			
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					कमल-नाभ					 :
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					पुं० [ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					कमल-नाल					 :
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					स्त्री० [ष० त०] कमल का डंठल या नाल जिसकी तरकारी बनती है। भसींड।				 | 
			
			
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					कमल-बंध					 :
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					पुं० [ब० स०] एक प्रकार का चित्रकाव्य जिसमें किसी छंद के अक्षर इस प्रकार सजाये जा सकते हैं कि कमल की-सी आकृति बन जाय।				 | 
			
			
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					कमल-बंधु					 :
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					पुं० [ष० त०] सूर्य।				 | 
			
			
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					कमल-बाई					 :
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					स्त्री० [हिं० कमल+बाई (वायु)] कमल या पीलिया नामकर रोग।				 | 
			
			
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					कमल-भव					 :
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					पुं० [ब० स०] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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					कमल-भू०					 :
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					[सं० कमल√भू० (होना)+क्विप्] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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					कमल-योनि					 :
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					पुं० [ब० स०] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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					कमल-वन					 :
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					पुं० [ष० त०] वह स्थान जहाँ बहुत-से ऐसे जलाशय हों जिनमें कमल खिले हों।				 | 
			
			
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					कमल-वायु					 :
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					स्त्री० [कर्म० स० ?] कमल या पीलिया नामक रोग।				 | 
			
			
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					कमलक					 :
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					पुं० [सं० कमल+कन्] छोटा कमल।				 | 
			
			
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					कमलज					 :
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					पुं० [सं० कमल√जन्+ड] ब्रह्मा।				 | 
			
			
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					कमला					 :
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					स्त्री० [सं० कमल+टाप्] १. लक्ष्मी। २. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसे रति-पद भी कहते हैं। पुं० १. बड़ी नारंगी। संतरा। २. पौधों आदि में लगनेवाला एक प्रकार का कीड़ा। ३. दे० ‘ढोला’ (कीड़ा)। पुं० [सं० क्रमेलक] ऊँट। (राज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कमला-कांत					 :
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					पुं० [ष० त०] विष्णु।				 | 
			
			
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					कमला-पति					 :
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					पुं० [ष० त०] लक्ष्मी के पति अर्थात् विष्णु।				 | 
			
			
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					कमलाकर					 :
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					पुं० [कमल-आकर, ष० त०] कमलों से भरा हुआ जलाशय।				 | 
			
			
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					कमलाकार					 :
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					वि० [कमल-आकार, ब० स०] जिसका आकार कमल की तरह हो। पुं० छप्पय नामक छंद का एक भेद या प्रकार।				 | 
			
			
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					कमलाक्ष					 :
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					वि० [कमल-अक्षि, ब० स०] [स्त्री० कमलाक्षी] कमल के समान आँखोंवाला। कमल नयन। पुं० कमल-गट्टा।				 | 
			
			
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					कमलाग्रजा					 :
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					स्त्री० [कमला-अग्रजा, ष० त०] लक्ष्मी की बड़ी बहन, दरिद्रा।				 | 
			
			
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					कमलालया					 :
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					स्त्री० [कमल-आलय, ब० स०, टाप्] लक्ष्मी जिसका आसन कमल है।				 | 
			
			
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					कमलावती					 :
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					स्त्री० [सं० कमल+मतुप्, ङीष्] पद्मावती छंद का दूसरा नाम।				 | 
			
			
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					कमलासन					 :
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					पुं० [कमल-आसन, ब० स०] १. ब्रह्मा। २. दे० ‘पद्मासन’ (योग का एक आसन)।				 | 
			
			
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					कमलिनी					 :
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					स्त्री० [सं० कमलिन्+ङीष्] १. छोटा कमल। २. वह जलाशय या ताल जिसमें कमल फूले हों।				 | 
			
			
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					कमलिनी-कांत					 :
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					पुं० [ष० त०] सूर्य।				 | 
			
			
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					कमली (लिन्)					 :
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					पुं० [सं० कमल+इनि] ब्रह्मा। स्त्री० दे० ‘कुमुदिनी’। स्त्री० [हिं० कंवल] छोटा और हलका कंबल, विशेषतः साधुओं आदि के ओढ़ने का कंबल।				 | 
			
			
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					कमलेक्षण					 :
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					पुं० [सं० कमल-ईक्षण, ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					कमलेच्छन					 :
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					पुं० [सं० कमलेक्षण] विष्णु। उदा०—‘चारि बरदानि तजि पाइ कमलेच्छन के’।—सेनापति।				 | 
			
			
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					कमलेश					 :
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					पुं० [कमल-ईश, ष० त०] १. कमलों के स्वामी, सूर्य। २. कमला या लक्ष्मी के स्वामी, विष्णु।				 | 
			
			
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