शब्द का अर्थ
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					कबाड					 :
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					पुं० [सं० कर्पट, प्रा० कप्पट=चिथड़ा] १. टूटी-फूटी या व्यर्थ की वस्तुओं का ढेर। २. अंड-बंड काम या व्यवसाय।				 | 
			
			
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					कबाड़खाना					 :
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					पुं० [हिं०+फा०] १. वह स्थान जहाँ अनेक प्रकार की बहुत-सी टूटी-फूटी तथा व्यर्थ की वस्तुएँ रखी गई हों। २. ऐसा स्थान जहां बहुत-सी चीजें अव्यवस्थित रूप में बिखरी पड़ी हों।				 | 
			
			
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					कबाड़ा					 :
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					पुं० [हिं० कबाड] १. कूड़ा-कर्कट। २. झंझट। बखेड़ा। ३. अनुपयोगी या व्यर्थ का काम। उदा०—नहिं जानऊँ कछु अउर कबारू (कबाड़ा)।—तुलसी।				 | 
			
			
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					कबाड़िया					 :
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					पुं० [हिं० कबाड़] १. वह जिसका व्यवसाय टूटी-फूटी या पुरानी वस्तुएँ खरीदना तथा बेचना हो। २. तुच्छ या निकृष्ट कार्य अथवा व्यवसाय करनेवाला व्यक्ति। वि० १. झगड़ालू। २. क्षुद्र। नीच।				 | 
			
			
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					कबाड़ी					 :
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					पुं०=कबाड़िया।				 | 
			
			
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