शब्द का अर्थ
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					कपाट					 :
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					पुं० [सं० क√पट् (गति)+णिच्+अण्] १. दरवाजे में लगे हुए पल्ले। किवाड़ा। २. दरवाजा। द्वार। ३. किली नली, खाने आदि के ऊपर ढकने के रूप में लगा हुआ कोई ऐसा पटल या फलक जो एक ओर से दाब पड़ने पर उस नली या खाने में से निकलने वाली चीज (जैसे—पानी, भाप, हवा आदि) पर नियंत्रण रखता और उसका प्रवाह रोक रखता है। (वॉल्व) ४. हठयोग में (क) सुषुम्ना नाड़ी (ख) ब्रह्मरंध्र और (ग) मोक्ष का द्वार।				 | 
			
			
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					कपाट-बन्ध					 :
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					पुं० [उपमि० सं० ] एक प्रकार का चित्र काव्य जिसमें किसी छंद के अक्षर इस प्रकार सजाकर लिखे जाते हैं कि उनसे बंद द्वार की आकृति बन जाती है।				 | 
			
			
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					कपाट-मंगल					 :
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					पुं० [हिं०] मंदिर का द्वार बन्द करना या होना। (वल्लभकुल)।				 | 
			
			
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