शब्द का अर्थ
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					ऊत					 :
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					वि० [सं० अपुत्र, प्रा० अउत्त] १. बिना पुत्र का। निपूता। निःसंतान। २. उजडैड्। मूढ़। ३. उद्धत।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ऊत					 :
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					वि० [सं० अपुत्र, प्रा० अउत्त] १. बिना पुत्र का। निपूता। निःसंतान। २. उजडैड्। मूढ़। ३. उद्धत।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					ऊतक					 :
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					पुं० [सं० ऊति से] [वि० औतिक] १. ऐसी चीज जिसमें ताने-बाने वाली बुनावट हो। २. जीव-विज्ञान में जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों आदि में वह बहुत सूक्ष्म अंग या अंश जो एक ही प्रकार की केशिकाओं से बना और उन्हीं से ओत-प्रोत होता है। (टिश्यू)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					ऊतक					 :
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					पुं० [सं० ऊति से] [वि० औतिक] १. ऐसी चीज जिसमें ताने-बाने वाली बुनावट हो। २. जीव-विज्ञान में जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों आदि में वह बहुत सूक्ष्म अंग या अंश जो एक ही प्रकार की केशिकाओं से बना और उन्हीं से ओत-प्रोत होता है। (टिश्यू)।				 | 
			
			
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					ऊतर					 :
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					पुं० [सं० उत्तर] १. उत्तर। जबाव। २. ऐसी झूठी या बनावटी बात जो अपना बचाव करने के लिए उत्तर के रूप में कही जा सके। बहाना। हीलाहवाला। उदाहरण—ऊता कौन हू कै पदमाकर दै फिरै कुंजगलीन में फेरी।—पद्याकर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					ऊतर					 :
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					पुं० [सं० उत्तर] १. उत्तर। जबाव। २. ऐसी झूठी या बनावटी बात जो अपना बचाव करने के लिए उत्तर के रूप में कही जा सके। बहाना। हीलाहवाला। उदाहरण—ऊता कौन हू कै पदमाकर दै फिरै कुंजगलीन में फेरी।—पद्याकर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					ऊतला					 :
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					वि० [हिं० उतावला] १. तेज। वेगवान। २. चंचल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					ऊतला					 :
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					वि० [हिं० उतावला] १. तेज। वेगवान। २. चंचल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					ऊताताई					 :
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					वि० [हिं० ऊत] नासमझ। मूर्ख।				 | 
			
			
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					ऊताताई					 :
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					वि० [हिं० ऊत] नासमझ। मूर्ख।				 | 
			
			
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					ऊति					 :
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					स्त्री० [सं०√अव् (रक्षण)+क्तिन्] १. सीने का काम। सिलाई। २. बुनावट। ३. रक्षा। हिफाजत। ४. कृपा। अनुग्रह। ५. सहायता। ६. खेलवाड़। तमाशा। ७. पुराणों में कर्म की वासना। ८. चुआने या टपकाने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					ऊति					 :
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					स्त्री० [सं०√अव् (रक्षण)+क्तिन्] १. सीने का काम। सिलाई। २. बुनावट। ३. रक्षा। हिफाजत। ४. कृपा। अनुग्रह। ५. सहायता। ६. खेलवाड़। तमाशा। ७. पुराणों में कर्म की वासना। ८. चुआने या टपकाने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					ऊतिमा					 :
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					वि०=उत्तम।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					वि०=उत्तम।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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