शब्द का अर्थ
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उभार :
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पुं० [हिं० उभरना] १. उभरने की क्रिया या भाव। २. वह अंश जो कुछ उभर कर ऊपर की ओर उठा या निकला ह। ३. ऊँचाई। ४. वृद्धि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उभार :
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पुं० [हिं० उभरना] १. उभरने की क्रिया या भाव। २. वह अंश जो कुछ उभर कर ऊपर की ओर उठा या निकला ह। ३. ऊँचाई। ४. वृद्धि। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उभारदार :
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वि० [हिं० उभार+फा० दार] १. उभरा या उठा हुआ। २. जो अपने अस्तित्व का अनुभव कर रहा हो। जैसे—यह नगीना (या बेल-बूटा) कुछ और उभारदार होना चाहिए था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उभारदार :
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वि० [हिं० उभार+फा० दार] १. उभरा या उठा हुआ। २. जो अपने अस्तित्व का अनुभव कर रहा हो। जैसे—यह नगीना (या बेल-बूटा) कुछ और उभारदार होना चाहिए था। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उभारना :
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स० [हिं० उभड़न] १. किसी को उभरने में प्रवृत्त करना। २. कुछ करने के लिए उत्तेजित या उत्साहित करना। जैसे—भाई के विरुद्ध भाई को उभारना। स०=उबारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उभारना :
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स० [हिं० उभड़न] १. किसी को उभरने में प्रवृत्त करना। २. कुछ करने के लिए उत्तेजित या उत्साहित करना। जैसे—भाई के विरुद्ध भाई को उभारना। स०=उबारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |