शब्द का अर्थ
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उत्साह :
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पुं० [सं० उद्√सह् (सहन करना)+घञ्] मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य प्रसन्न होकर और तत्परतापूर्वक कोई काम करने या कोई उद्देश्य सिद्ध करने लिए अग्रसर या प्रवृत्त होता है। साहित्य में इसे एक स्थायी भाव माना गया है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उत्साह :
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पुं० [सं० उद्√सह् (सहन करना)+घञ्] मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसके परिणाम स्वरूप मनुष्य प्रसन्न होकर और तत्परतापूर्वक कोई काम करने या कोई उद्देश्य सिद्ध करने लिए अग्रसर या प्रवृत्त होता है। साहित्य में इसे एक स्थायी भाव माना गया है। |
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उपलब्ध नहीं |
उत्साहक :
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वि० [सं० उद्√सह+ण्वुल्-अक] १. उत्साह देने या उत्साहित करनेवाला। २. अध्यवसायी और कर्मठ। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्साहक :
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वि० [सं० उद्√सह+ण्वुल्-अक] १. उत्साह देने या उत्साहित करनेवाला। २. अध्यवसायी और कर्मठ। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्साहन :
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वि० [सं० उद्√सह्+णिच्+ल्युट-अन] १. किसी को उत्साह देना। उत्साहित करना। २. दृढ़ता-पूर्वक किया जानेवाला उद्यम। अध्यवसाय। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्साहन :
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वि० [सं० उद्√सह्+णिच्+ल्युट-अन] १. किसी को उत्साह देना। उत्साहित करना। २. दृढ़ता-पूर्वक किया जानेवाला उद्यम। अध्यवसाय। |
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उत्साहना :
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अ० [सं० उत्साह+ना (प्रत्यय)] उत्साह से भरना। उत्साहित होना। उदाहरण—बसत तहाँ प्रमुदित प्रसन्न उन्नति उत्सहि।-रत्ना। स० उत्साहित करना। उत्साह बढ़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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उत्साहना :
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अ० [सं० उत्साह+ना (प्रत्यय)] उत्साह से भरना। उत्साहित होना। उदाहरण—बसत तहाँ प्रमुदित प्रसन्न उन्नति उत्सहि।-रत्ना। स० उत्साहित करना। उत्साह बढ़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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उत्साही (हिन्) :
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वि० [सं० उत्साह+इनि] १. आनंद तथा तत्परतापूर्वक किसी काम में लगने वाला। २. जिसके मन में हर काम के लिए और हर समय उत्साह रहता हो। जैसे—उत्साही कार्यकर्त्ता। |
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समानार्थी शब्द-
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उत्साही (हिन्) :
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वि० [सं० उत्साह+इनि] १. आनंद तथा तत्परतापूर्वक किसी काम में लगने वाला। २. जिसके मन में हर काम के लिए और हर समय उत्साह रहता हो। जैसे—उत्साही कार्यकर्त्ता। |
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