शब्द का अर्थ
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					आंस					 :
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					स्त्री० [हिं० गाँस] हलकी पीड़ा या वेदना। कसक। स्त्री० [?] १. डोरी। रस्सी। २. रेशा। ३. मूँछों के निकलने का आरंभिक रूप। रेख। (बुदे०) पुं० १. अंश। २. -आँसू।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					आँसना					 :
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					अ० [हिं० आँस] कष्टकारी सिद्ध होना। खटकना। गड़ना। उदाहरण—लगान थोड़ा होने पर भी आँसता था।—वृन्दावनलाल वर्मा। स० कष्ट देना।				 | 
			
			
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					आँसला					 :
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					वि० [हिं० आँसू] जिसकी आँखों में आँसू भरे हो। वि० [हिं० आँस] जिसके ह्रदय में वेदना हो। उदाहरण—पटक्योई परै यह अंकुर आसंली, ऐसे कछु रस रीति घुरी।—घनानंद।				 | 
			
			
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					आँसी					 :
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					स्त्री० [सं० अंश-भाग] बैने या भेंट के रूप में किसी को दिया जाने वाला अंश या भाग। उदाहरण—काम किलोलनि में मतिराम लगे मनो बाँटन मोद की आँसी।				 | 
			
			
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					आँसू					 :
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					पुं० [सं० अंश्रु, पा० अस्सु, प्रा० गु० आंजु, आंसु, ने० आँसु, सि० इंज, पं० अंझू, का० ओश, सिंह० अस, मरा० अँसू] आँखो की अश्रुग्रंथि में से स्रवित होने वाली बूँदे। विशेष—आँसू प्रायः दुख के आवेग या क्षोभ और कभी-कभी विशेष हर्ष के कारण भी निकलते है। मुहावरा—आँसू गिराना=रोना। आँसू डबडबाना—आँखों में आँसू भर आना। आँसू ढालना—रोना। आँसू पीकर रह जाना—कष्टपूर्ण आवेग मन में ही रोक रखना और प्रकट न होने देना। (किसी के) आँसू पोंछना=(क) आश्वासन देना। ढ़ाढस बँधाना। (ख) ऐसा काम करना, जिससे किसी का दुःख या पाश्चाताप कम हो। जैसे—सौ रूपये देकर उनके भी आँसू पोंछ दों। आँसूओं का तार बँधना=रोने का क्रम निरंतर चलते रहना। आँसूओं में मुँह धोना—इतना अधिक रोना कि सारे चेहरे पर आँसू फैल जाएँ।				 | 
			
			
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					आँसूढाल					 :
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					पुं० [हिं० आँसू+ढालना] चौपायों का एक रोग जिसमें उनकी आँखों से प्रायः आँसू या जल बहता रहता है।				 | 
			
			
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