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शब्द का अर्थ

अविद  : वि० [सं० √विद्(ज्ञान)+क,न० त०] जो विद् अर्थात् जानकार न हो। अनजान।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अविदग्ध  : वि० [सं० न० त०] १. जो अच्छी तरह जला न हो। २. जो पका न हो। ३. जो पचा न हो। ४. जो अच्छी तरह पूर्णता को न पहुँचा हो, अर्थात् अनुभवहीन या नौसिखुआ।
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अविदित  : वि० [सं० न० त०] १. जो विदित न हो। अज्ञात। २. गुप्त। ३. अविख्यात।
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अविद्ध  : वि० [सं० न० त०] जो बेधा या छेदा न गया हो।
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अविद्धकर्णा (र्णी)  : स्त्री० [न० ब० टाप्] पाढ़ा लता।
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अविद्धता  : स्त्री० [सं० न० त०] १. विद्धता का अभाव। २. अज्ञान। मूर्खता।
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अविद्धान्  : वि० [सं० न० त०] जो विद्वान न हो, फलतः अज्ञानी या मूर्ख।
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अविद्य  : वि० [सं० न-विद्या, न० ब०] १. जो पढ़ा-लिखा या शिक्षित न हो। २. जिसका संबंध विद्या या ज्ञान से न हो। ३. दे० ‘अविद्यमान’।
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अविद्यमान  : वि० [सं० न० त०] १. जो विद्यमान न हो। २. जिसकी कोई सत्ता या अवस्थिति न हो फलतः असत्। ३. झूठ। मिथ्या। ४. जिसका अस्तित्व महत्त्वपूर्ण, वास्तविक या स्थायी न हो। उदाहरण—अर्थ अविद्यमान जानिए ससृति नहिं जाइ गुसाई।—तुलसी।
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अविद्या  : स्त्री० [सं० न० त०] १. विद्या का अभाव। २. दार्शनिक क्षेत्रों में संसारिक मोह-माया में फँसानेवाला ऐसा मिथ्या या विपरीत ज्ञान जो इंद्रियों या संस्कारों के दोष से उत्पन्न हो और जो आत्मिक कल्याण की दृष्टि से घातक सिद्ध हो। जैसे—अनित्य को नित्य अनात्मा को आत्मा या झूठे सुख को सच्चा सुख मानना या समझना। सांख्य में इसे प्रकृति का गुण माना गया है।
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