शब्द का अर्थ
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					अवाँ					 :
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					पुं० =आवाँ।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					अवाँग					 :
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					वि० [सं० अवङ्] नीचे की ओर झुका हुआ। नत।				 | 
			
			
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					अवाँगना					 :
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					स० [सं० अवाङ्] नीचे की ओर मोड़ना या झुकाना। उदाहरण—लीन्हेसी नवाइ डीठि पगनि अवाँगी रो।—पद्माकर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अवांछनीय					 :
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					वि० [सं० न० त०] १. जो वांछनीय (अभिलषित) या (इष्ट) न हों। २. वांछना के लिए अनाधिकारी या अपात्र। (अन्डिजायरेबुल्)				 | 
			
			
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					अवांछित					 :
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					वि० [सं० न० त०] १. जो वांछित न हो। २. जिसकी वांछा न की गई हो।				 | 
			
			
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					अवांतर					 :
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					वि० [सं० अव-अंतर, अत्या० स०] १. जो दो छोरों वस्तुओं या बिन्दुओं के बीच में स्थित हो। जैसे—अवांतर दिशा, अवांतर देश आदि। २. जो किसी प्रकार भेद या वर्ग के अंतर्गत हो अथवा किसी में उप-भेद आदि के रूप में मिला हो। जैसे—घोड़ों, तलवारों आदि के अनेक अवांतर भेद होते हैं। ३. गौण। ४. अतिरिक्त। पुं० १. बीच। मध्य। २. भीतरी भाग या स्थान।				 | 
			
			
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					अवाँसना					 :
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					स० [सं० वासन] नये कपड़े, बरतन आदि पहले-पहल प्रयोग में लाना।				 | 
			
			
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					अवाँसी					 :
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					स्त्री० [सं० अवासित] नवान्न के लिए फसल मे से पहले पहल काटकर लाया हुआ बोझ। ददरी।				 | 
			
			
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