शब्द का अर्थ
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					अरुण					 :
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					वि० [सं०√ऋ (गति)+उनन्] [स्त्री० अरुणा भाव० अरुणता, अरुणिमा] लाल रंग का। रक्त वर्ण का। सुर्ख। पुं० [सं० ] १. गहरा लाल रंग। २. सूर्य। ३. बारह आदित्यों में से एक जिसका प्रकाश माघ महीनें में रहता है। ४. सूर्य का सारथी। ५. संध्या के समय पश्चिम में दिखाई देने वाली लाली। ६. कुंकुम। ७. सिंदूर। ८. उद्दालक ऋषि के पिता का नाम। ९. एक झील जो मदार पर्वत पर मानी गई है। १. एक प्रकार के पुच्छल तारे जिनकी चोटियाँ चँवर की तरह होती है। ११. एक प्रकार का कुष्ट रोग जिसमें शरीर का चमड़ा लाल हो जाता है। १२. पुन्नाग नामक वृक्ष।				 | 
			
			
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					अरुण-कर					 :
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					पुं० [ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					अरुण-किरण					 :
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					पुं० [ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					अरुण-चूड़					 :
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					पुं० [ब० स०] १. वह जिसकी चोटी या शिखा लाल हो। २. मुर्गा।				 | 
			
			
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					अरुण-ज्योति (स्)					 :
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					पुं० [ब० स०] शिव।				 | 
			
			
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					अरुण-नेत्र					 :
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					पुं० [ब० स०] १. कबूतर। २. कोयल।				 | 
			
			
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					अरुण-प्रिया					 :
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					स्त्री० [ष० त०] १. सूर्य की स्त्रियाँ छाया और संज्ञा। २. एक अप्सरा का नाम।				 | 
			
			
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					अरुण-मल्लार					 :
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					पुं० [कर्म० स०] मल्लार राग का एक भेद जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं।				 | 
			
			
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					अरुण-शिखा					 :
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					पुं० [ब० स०] मुर्गा, जिसकी चोटी लाल होती है।				 | 
			
			
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					अरुणता					 :
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					स्त्री० [सं० अरुण+तल्-टाप्] १. अरुण होने की अवस्था या भाव। २. ललाई। लाली।				 | 
			
			
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					अरुणा					 :
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					स्त्री० [सं० अरुण+अच्-टाप्] १. प्रातःकाल की पूर्व दिशा की लाली। २. उषा। ३. लाल रंग की गौ। ४. मंजीठ। ५. अतिविषा। ७. गोरखमुंडी। ८. निसोथ। ९. इंद्रायन। १. घुँघची। ११. एक प्राचीन नदी।				 | 
			
			
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					अरुणाई					 :
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					स्त्री०=अरुणता (लाली)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अरुणाग्रज					 :
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					पुं० [अरुण-अग्रज, ब० स०] गरुड़।				 | 
			
			
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					अरुणात्मज					 :
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					पुं० [अरुण-आत्मज, ष० त०] अरुण के पुत्र। जैसे—कर्ण, जटायु, यम, शनि, सुग्रीव आदि।				 | 
			
			
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					अरुणात्मजा					 :
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					स्त्री० [सं० अरुणात्मज+टाप्] १. सूर्य की पुत्री। यमुना नदी। २. ताप्ती नदी।				 | 
			
			
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					अरुणानुज					 :
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					पुं० [अरुण-अनुज, ष० त०] गरुड़।				 | 
			
			
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					अरुणाभ					 :
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					वि० [अरुण-आभा, ब० स०] जो लाल आभा से युक्त हो। लाली दिये हुए।				 | 
			
			
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					अरुणाभा					 :
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					स्त्री० [अरुण-आभा, कर्म० स०] सूर्योदय अथवा सूर्यास्त के समय का सूर्य का मद्धिम प्रकाश। (ट्वाइलाइट)				 | 
			
			
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					अरुणार					 :
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					वि०=अरुनारा।				 | 
			
			
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					अरुणाश्व					 :
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					पुं० [अरुण-अश्व, ब० स०] मरुत्। वायु।				 | 
			
			
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					अरुणित					 :
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					भू० कृ० [सं० अरुण+इतच्] १. जिसे लाल किया या बनाया गया हो। २. जिसमें लाली आ गयी हो।				 | 
			
			
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					अरुणिमा					 :
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					स्त्री० [सं० अरुण+इमानिच्] अरुण होने का गुण या भाव। ललाई। लाली।				 | 
			
			
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					अरुणोद					 :
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					पुं० [ब० स० अरुण-उदक, उद आदेश] १. जैनियों के अनुसार एक समुद्र जो पृथ्वी को आवेष्ठित किए है। २. लाल सागर।				 | 
			
			
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					अरुणोदक					 :
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					पुं० [अरुण-उदय ब० स०]=अरुणोद।				 | 
			
			
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					अरुणोदधि					 :
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					पुं० [अरुण-उदधि कर्म० स०] अरब और मिस्र के बीच का सागर। लाल सागर।				 | 
			
			
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					अरुणोदय					 :
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					पुं० [अरुण-उदय, ब० स०] दिन निकलने से कुछ पहले का समय जब सूर्य की लाली दिखाई देने लगती है। उषाकाल। भोर। तड़का।				 | 
			
			
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					अरुणोदय-सप्तमी					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] माद्य-शुक्ला सप्तमी।				 | 
			
			
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					अरुणोपल					 :
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					पुं० [अरुण-उपल, कर्म० स०] पद्यराग मणि। लाल नामक रत्न।				 | 
			
			
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