शब्द का अर्थ
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					अब्र					 :
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					पुं० [फा० मि० सं० अभ्र] बादल। मेघ।				 | 
			
			
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					अब्रह्माण्य					 :
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					वि० [सं० ब्रह्मन्+यत्, न० त०] १. (कार्य) जो ब्राह्मणों के करने योग्य न हो। जैसे—चोरी हिंसा आदि। २. इतना अनुचित और निंदनीय कि शिष्ट समाज के लिए परम अनुपयुक्त हो। ३. ब्राह्मणों, वेदों आदि पर विश्वास या श्रद्धा रखनेवाला। पुं० चोरी, मिथ्या, भाषण, हिंसा आदि निंदनीय कर्म जो ब्राह्मणों (अर्थात् सभ्यों) के लिए अशोभन है।				 | 
			
			
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					अब्राह्मण					 :
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					वि० [सं० न० त०] जो ब्राह्मण न हो। पुं० [न० त०] ब्राह्मण से भिन्न जाति का व्यक्ति।				 | 
			
			
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					अब्राह्मण्य					 :
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					पुं० [सं० ब्राह्मण+ष्यञ० न० त०] ब्राह्मण के कर्त्तव्यों का उल्लंघन।				 | 
			
			
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