शब्द का अर्थ
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					अपाव					 :
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					पुं० [सं० अपाय=नाश] १. अन्याय। २. उत्पात। उपद्रव। ३. खराबी। बुराई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अपावन					 :
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					वि० [सं० न० त०] जो पावन या पवित्र न हो। अपवित्र।				 | 
			
			
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					अपावरण					 :
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					पुं० [सं० अप-आ√व्(ढँकना)+ल्युट्-अन] १. आवरण हटाना। २. फिर से प्रकाश में या सामने लाना।				 | 
			
			
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					अपावर्तन					 :
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					पुं० [सं० अप-आ√वृत् (बरतना)+ल्युट्-अन] १. पीछे की ओर आना या हटना। २. कथन, वचन आदि का पालन न करना या उसके पालन से पीछे हटना। (रिट्रीट) ३. लौटना। वापस आना। ४. भागना। ५. चक्कर लगाना। घूमना।				 | 
			
			
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					अपावृत					 :
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					वि० [सं० अप-आ√वृ (आच्छादन)+क्त] १. जिस पर से आवरण हटा दिया गया हो। २. जो फिर से प्रकाश में लाया गया हो। ३. जो नियंत्रण में न हो। अनियंत्रित।				 | 
			
			
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					अपावृति					 :
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					स्त्री० [सं० अप-आ√वृ+क्तिन्] १. अपावर्तन। २. छिपने का स्थान।				 | 
			
			
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					अपावृत्त					 :
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					भू० कृ० [सं० अप-आ√वृत् (बरतना)+क्त] १. लौटाया या पीछे हटाया हुआ। २. तिरस्कार पूर्वक अस्वीकृत किया हुआ।				 | 
			
			
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