शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					अन्वय					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० अनु√इ (गति)+अच्] [भू० कृ० अन्वित] १. दो वस्तुओं के आपस का संबंध या उनमें होनेवाली अनुरूपता। २. पद्य या कविता की वाक्य-रचना को गद्य की वाक्य-रचना के अनुसार बैठाने या ठीक करने की क्रिया। ३. किसी वाक्य की शब्दावली के अनुसार उसका ठीक और संगत अर्थ लगाना। ४. कार्य और कारण का पारस्परिक संबंध। ५. एक बात सिद्ध करने के लिए दूसरी बात की सिद्धि या उससे संबंध स्थापित करना। ६. अवकाश। ७. कुल। ८. वाक्य के शब्दों का पारस्परिक संबंध। (व्याकरण)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अन्वय-व्यतिरेक					 :
				 | 
				
					पुं० [द्व० स०] १. नियम और अपवाद। २. संगति और असंगति।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अन्वय-व्याप्ति					 :
				 | 
				
					स्त्री० [तृ० त०] निश्चयात्मक या स्वीकारात्मक तर्क।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अन्वयागत					 :
				 | 
				
					वि० [अन्वय-आगत, प० त०]जो वंश-परंपरा से चला आ रहा हो। वंशानुक्रमिक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अन्वयार्थ					 :
				 | 
				
					पुं० [अन्वय-अर्थ, मध्य० स०] (पद या वाक्य का) अन्वय से निकलनेवाला अर्थ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					अन्वयी (सिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं० अन्वय+इनि] १. अन्वययुक्त। संबंद्ध। २. (वे कई) जो एक ही वंश से उत्पन्न हों।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |