शब्द का अर्थ
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					अजर					 :
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					वि० [सं० न० ब०] जिसे जरा या बुढ़ापा न आवे। सदा एक सा बना रहने वाला। पुं० १. परब्रह्वा। २. देवता। वि० [सं० अ=नहीं+जृ=पचना) जो पचाया न जा सके।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अजरा					 :
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					स्त्री० [सं० न० ब०, टाप्] १. घृतकुमारी। घीकुआँर। (पौधा) २. विधारा। (पौधा) ३. छिपकली।				 | 
			
			
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					अजरायल					 :
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					वि० [सं० अजर] १. जो कभी जीर्ण या पुराना न हो। २. सदा एक-सा रहने वाला। चिरस्थायी। ३. दृढ़। पक्का। ४.बलवान। शक्तिशाली। वि० [सं० अ (=नहीं) +दर=डर) निर्भय। निःशंक।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अजराल					 :
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					वि० [सं० अ=नहीं+जू=पुराना पड़ना] बलवान। शक्तिशाली। (डिं०)				 | 
			
			
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					अजरावन					 :
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					वि० [सं० अजर+हिं० आवन (प्रत्यय) अजर करने या सदा एक-सा बनाये रखनेवाला। स्त्री० अजर होने की अवस्था या भाव। (पूरब)				 | 
			
			
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					अजरावर					 :
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					वि० [सं० अजर+अमर) १. जिसका नाश न हो। नष्ट न होनेवाला। २. दृढ़ या पक्का।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अजर्य					 :
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					वि० [सं०√जृ (वयोहानि) +यत्, न० त०)=अजर।				 | 
			
			
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