शब्द का अर्थ
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					अंडा					 :
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					पुं० [सं० अंड] १. कुछ विशिष्ट मादा जीवों के गर्भाशय निकलनेवाला वह गोल या लम्बोतरा पिंड जिसमें से उनके बच्चे जन्म लेते हैं। जैसे—चिड़िया, मछली, मुर्गी या साँप का अंडा। मुहावरा—अंडा खटकना—अंडा फूटना। अंडा ढीला होना=काम करते करते या चलते चलते थकावट आना। अंडा सरकाना=हाथ पैर हिलाना। अंडा सेना=(क) पक्षियों का अपने अंडों पर बैठना। (ख) इस प्रकार बैठकर उसमें गरमी पहुँचाना ताकि वे जल्दी फूटें। (ग) घर में बैठे रहना। घर से बाहर न लिकलना। २. देह, शरीर (क्व०)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					अंडाकर्षण					 :
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					पुं० [सं० अंड आकर्षण, ष० त०] नर चौपाये को बधिया करना।				 | 
			
			
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					अंडाकार					 :
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					वि० [सं० अंड-आकार, ब० स०] अंडे के आकार का लम्बोतरा गोल (ओवल)।				 | 
			
			
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					अंडाकृति					 :
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					स्त्री० [सं० अंड-आकृति, ष० त०] अंडे जैसी आकृति होने की अवस्था या भाव। वि० =अंडाकार।				 | 
			
			
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					अंडालु					 :
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					वि० [सं० अण्ड+आलुच्]=अंडज।				 | 
			
			
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					अंडाशय					 :
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					वि० [सं० अण्ड-आशय=घर, ष० त०] स्त्री० जाति के जीवों, पौधों आदि का वह अंग जिसमे अंड या डिंब पहुँचकर स्थित और विकसित होता है और उस वर्ग के नये जीवों, पौधों आदि का प्रजनन करता है। डिबांशय (ओवरी)।				 | 
			
			
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