शब्द का अर्थ
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					स्वार्थ					 :
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					पुं० [सं०] [वि० स्वार्थिक, कर्ता स्वार्थी, भाव० स्वार्थता] १. अपना अर्थ या उद्देश्य। अपना मतलब। २. अपना हित साधने की उग्र भावना। ३. ऐसी बात, जिसमें स्वयं अपना लाभ या हित हो। मुहा०–(किसी बात में) स्वार्थ लेना=किसी होनेवाले काम में अनुराग रखना (आधुनिक, पर भद्दा प्रयोग)। ४. विधिक क्षेत्रों में, किसी वस्तु या संपत्ति के साथ होनेवाला किसी व्यक्ति का वह संबंध जिसके अनुसार उसे उस वस्तु या संपत्ति पर अथवा उससे होनेवाले लाभ आदि पर स्वामित्व अथवा इसी प्रकार का और कोई अधिकार प्रापत रहता है (इन्टरेस्ट)। वि०=स्वारथ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					स्वार्थ-त्याग					 :
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					पुं० [सं०] (दूसरे के हित के लिए कर्तव्य बुद्धि से) अपने स्वार्थ या हित को निछावर करना। किसी भले काम के लिए अपने हित या लाभ का विचार छोड़ना।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-त्यागी (गिन्)					 :
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					वि० [सं० स्वार्थत्यागिन्] जो (दूसरों के हित के लिए कर्तव्य-बुद्धि से) अपने स्वार्थ या हित को निछावर कर दे। दूसरे के भले के लिए अपने हित या लाभ का विचार न रखेनावाला। स्वार्थ त्याग करनेवाला।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-पंडित					 :
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					वि० [सं०] बहुत बड़ा स्वार्थी या खुदगरज। परम स्वार्थी।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-परता					 :
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					स्त्री० [सं०] स्वार्थपर होने की अवस्था या भाव। खुदगरजी।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-परायण					 :
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					वि० [सं०] [भाव० स्वार्थ-परायणता] १. जो अपने स्वार्थो की सिद्धि में रत रहता हो। २. अन्य कर्मों या बातो की अपेक्षा अपने स्वार्थ को अधिक महत्त्व देनेवाला।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-परायणता					 :
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					स्त्री० [सं०] स्वार्थ-परायण होने की अवस्था, गुण या भाव। स्वार्थपरता। खुदगरजी।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-साधक					 :
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					वि० [सं०] अपना मतलब साधनेवाला। अपना काम निकलानेवाला। खुदगरज। स्वार्थी।				 | 
			
			
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					स्वार्थ-साधन					 :
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					पुं० [सं०] अपना प्रयोजन सिद्ध करना। अपना काम या मतलब निकालना।				 | 
			
			
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					स्वार्थता					 :
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					स्त्री० [सं०] स्वार्थ का धर्म या भाव। स्वार्थपरता। खुदगरजी।				 | 
			
			
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					स्वार्थपर					 :
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					वि० [सं०] दो केवल अपना स्वार्थ या मतलब देखता हो। अपना स्वार्थ या मतलब साधनेवाला। स्वार्थी। खुदगरज।				 | 
			
			
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					स्वार्थांध					 :
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					वि० [सं०] [भाव० स्वार्थांधता] १. जो अपने स्वार्थ के फेर में पड़कर अंधा हो रहा हो और भले-बुरे का ध्यान न रखता हो।				 | 
			
			
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					स्वार्थिक					 :
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					वि० [सं०] १. स्वार्थ से संबंध रखनेवाला। २. जिससे अपना अर्थ या काम निकले। २. लाभदायक। (प्रॉफिटेबुल) ४. वाच्यार्थ से युक्त। (कथा या वाक्य)। ५. अपने अर्थ या धन से किया या लिया हुआ (कार्य या पदार्थ)।				 | 
			
			
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					स्वार्थी (थिन्)					 :
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					वि० [सं०] १. मात्र अपने स्वार्थों की सिद्धि चाहनेवाला। २. जिसमें परमार्थ-भावना न हो। खुदगरज।				 | 
			
			
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