शब्द का अर्थ
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					स्थाय					 :
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					पुं० [सं०] १. वह जिसमें कोई चीज रखी जाय। वह जिसमें धारिता शक्ति हो। २. जगह। स्थान।				 | 
			
			
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					स्थाया					 :
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					स्त्री० [सं०] पृथ्वी। धरती।				 | 
			
			
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					स्थायिक					 :
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					वि० [सं०] १. स्थायी। २. विश्वसनीय।				 | 
			
			
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					स्थायिता					 :
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					स्त्री०=स्थायित्व।				 | 
			
			
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					स्थायित्व					 :
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					पुं० [सं०] १. स्थायी होने का अवस्था, गुण धर्म, भाव। २. किसी वस्तु विशेषतः सेवा या नौकरी के पद आदि पर होने वाला ऐसा अधिकारी जो कुछ विशिष्ट नियमों के अनुसार सुरक्षित और नियत काल के लिए स्थायी हो। (टेन्योर)				 | 
			
			
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					स्थायी					 :
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					वि० [सं०] १. किसी स्थान पर स्थित होनेवाला। २. सदा स्थित रहनेवाला। हमेशा बना रहनेवाला। (परमानेन्ट) जैसे–स्थायी पद। ३. बहुत दिनों तक चलनेवाला। टिकाऊ। ४. स्थायी भाव। (दे०)				 | 
			
			
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					स्थायी कोष					 :
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					पुं० [सं०] किसी संस्था आदि का वह कोष या धन राशि जो उसे स्थायी रूप से बनाए रखने के लिए क्रम-क्रम से बराबर संचित होती रहती है और इसका उपयोग उस संस्था को पुष्ट रूप देने और स्थायी बनाए रखने में होता है।				 | 
			
			
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					स्थायी निधि					 :
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					स्त्री० [सं०] १. वह निधि जो कोई काम चलाए चलने के लिए स्थापित की गई हो और जिसके ब्याज मात्र से वह काम चलता हो। २. स्थायी कोष। (एन्डाउमेंट)				 | 
			
			
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					स्थायी भाव					 :
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					पुं० [सं०] साहित्य में वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं। जैसे–प्रेम, हर्ष या उससे उत्पन्न होनेवाला हास्य, खेद, दुःख, शोक, भय, वैराग्य आदि। इन्ही तत्वों या भावों के आधार पर साहित्य के ये नौ रस स्थिर हुए हैं–श्रंगार, हस्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स और शांत। इन्ही रसों में मूल तथा स्थायी रूप से स्थापित रहने और किसी दूसरे भाव के आने पर भी प्रबलता तथा स्पष्ट रूप से होने के कारण ये भाव स्थायी कहलाते हैं।				 | 
			
			
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					स्थायी समिति					 :
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					स्त्री० [सं०] १. वह समिति जो स्थायी रूप से बनी रहकर काम करने के लिए नियुक्त की गई हो। २. किसी सम्मेलन या महासभा आदि की यह समिति जो उक्त सम्मेलन या महासभा के अगले अधिवेशन तक सब कार्यों की व्यवस्था के लिए चुनी जाती है। (स्टैंडिंग कमिटि)				 | 
			
			
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					स्थायीकरण					 :
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					पुं० [सं०] [भू० कृ० स्थायीकृत] १. किसी वस्तु, कार्य या बात को स्थायी रूप देना। २. किसी पद पर अस्थायी रूप से अथवा परीक्षण के रूप में काम करने वाले व्यक्ति को उस पर स्थायी रूप से नियत करना। ३. उक्त कार्य के लिए दी जानेवाली आज्ञा या स्वीकृति। (कन्फ़र्मेशन)				 | 
			
			
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