शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					स्तंभ					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] [स्त्री० अल्पा० स्तंभिका] १. खंबा। २. वह व्यक्ति, तत्व या तथ्य जो किसी संस्था, कार्य, सिद्धांत आदि के आधार के रूप में हो। जैसेःआप उस संस्था के संतंभ हो। ३. समाचार के पन्नो के पृष्ठों सारणियों आदि खड़े बल का वह निभाग, जिसमें उबर से नीचे तक कुछ विशेष बातें अंक आदि होते है। ४. समाचार पत्रों में उक्त प्रकार के विभागों का वह वर्ग जिसमें किसी विशेष विषय का प्रतिपादन या निरूपण होता है। जैसे—संपादकीय स्तंभ, स्थानिक स्तंभ आदि (कालम, उक्त सभी अर्थों के लिए) ५. पेड़ का तना। ६. [वि० स्तंभित] किसी कारण या घटना (जैसे हर्ष, लज्जा, भय आदि।) से अंगो का बिलकुल शिथिल होजाना। ७. साहित्य में उक्त आधार पर माने जाने वाला एक सात्विक अनुभाव जिसमें भय, रोग, लज्जा, विषाद, हर्ष आदि के कारण शरीर सुन्न हो जाता है और उसमें अंग संचालन की शक्ति नहीं रह जाती है। ८. जड़ता। अचलता। ९. प्रतिबंध। रुकावट। १॰. तंत्र में किसी शक्ति को रोकने वाला प्रयोग। ११. अभिमान। घमंड। १२. आदि रोगों के कारण होने वाली मूर्च्छा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभ-तीर्थ					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] आधुनिक खंभात नगर का एक प्राचीन नाम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभ-लेखक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] वह जो प्रायः भिन्न-भिन्न सामयिक पत्रों के स्तंभों के लिए लेख आदि लिखता हो। (कालमिस्ट)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभ-वृत्ति					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] प्राणों को जहाँ का तहाँ रोक देना, जो प्राणायाम का एक अंग है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभक					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] १. स्तंभन करने या रोकने वाला। रोधक। २. कब्जियत करने वाला। ३.वीर्य को गिराने या स्खलित होने से कुथ समय तक रोक रखने वाला। पुं० १. खंभा। २. शिव का एक नाम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभकी (किन्)					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा जिसपर चमड़ा मढ़ा होता है। स्त्री० एक देवी का नाम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] [भू० कृ० स्तंभित] १. रोकने की क्रिया या भाव। रुकावट। अवरोध। २. वीर्य आदि को स्खलित होने या मल को पेट से बाहर निकलने से रोकना। ३.वीर्यपात रोकने की दवा। ४. जड़ या निश्चेष्ट करना। जड़ीकरण। ५. किसी की चेष्टा, क्रिया या शक्ति रोकने वाला तांत्रिक प्रयोग। ६.काम देव के पाँचों बाणों में से एक। ७. गिरने से रोकने के लिए लगाया जानेवाला सहारा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] एक प्रकार का इंद्र जाल या जादू, जिससे लोगों को स्तंभित वा जड़ कर दिया जाता था।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभनीय					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] जिसका स्तंभन हो सके या होने को हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभि					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] समुद्र। सागर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभिका					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] १. चौकी या आसन का पाया। २. छोटा खंभा। खँभिया।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभित					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं०] १. जो जड़ या अचल कर दिया गया हो या हो गया हो। जड़ीभूत। निश्चल। २. निस्तब्ध। सुन्न। ठहरा या रुका हुआ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभिनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] यौग के अनुसार पाँच धारणाओं में से एक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभी (भिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] १. स्तंभो या खंभो से युक्त। दे० स्तंभक। पुं० समुद्र। सागर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					स्तंभोत्कीर्ण					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] जो खंभो में खोदकर बनाया गया हो। (आकृति, मूर्ति आदि)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |