शब्द का अर्थ
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					शेखर					 :
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					पुं० [सं०√शिखि+अरन्-पृषो०] १. शीर्ष। सिर। माथा। २. सिर पर पहनने का किरीट या मुकुट। ३. सिर पर लपेटी जानेवाली माला। ४. पहाड की चोटी। शिखर। ५. ऊपरी सिरा० ६. उच्चता या श्रेष्ठता का सूचक पद। ७. छंद शास्त्र में टगण के पाँचवें भेद की संज्ञा (॥ऽ।) जैसे—ब्रजनाथ। ८. संगीत में ध्रुव या स्थायी पद का एक प्रकार का भेद।				 | 
			
			
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					शेखर-चंद्रिका					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					शेखरापीड़ योजन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] चौसठ कलाओं में से एक कला। जिसमें सिर पर पगड़ी माला आदि सुन्दर रूप में पहनाई जाती है।				 | 
			
			
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					शेखरी					 :
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					स्त्री० [सं० शेखर-ङीष्] १. बंदाक। बाँदा। २. लौंग। ३. सहिंजन की जड़। ४. संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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