शब्द का अर्थ
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					वैश्व					 :
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					वि० [सं० विश्व+अण्] विश्वदेव संबंधी। विश्वदेव का। पुं० उत्तराषाढ़ा। नक्षत्र।				 | 
			
			
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					वैश्वजनीन					 :
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					वि०=विश्वजनीन।				 | 
			
			
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					वैश्वदेव					 :
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					पुं० [सं० विश्वदेव+अण्] विश्वदेव को प्रसन्न करने के उद्देश्य से किया जानेवाला यज्ञ।				 | 
			
			
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					वैश्वदेवत					 :
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					पुं० [सं० विश्वदेवता+अण्] उत्तराषाढ़ा नक्षत्र जिसके अधिष्ठाता विश्वदेव माने जाते हैं।				 | 
			
			
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					वैश्वयुग					 :
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					पुं० [सं० विश्व-युग, ष० त०+अण्] फलित ज्योतिष के अनुसार बृहस्पति के शोमकृत, शुभकृत क्रोधी, विश्वावसु और पराभाव नामक पाँच सवत्सरों का युग या समूह।				 | 
			
			
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					वैश्वरूप					 :
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					वि० [सं० विश्वरूप+अण्] १. बहुत से रूपोंवाला। २. विभिन्न प्रकार का।				 | 
			
			
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					वैश्वानर					 :
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					पुं० [सं० विश्वानर+अण्] १. अग्नि। २. परमात्मा। ३. चेतन। ४. चित्र। ५. चित्रक। चीता।				 | 
			
			
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					वैश्वानर-मार्ग					 :
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					पुं० [सं०] चन्द्रवीथी का एक भाग।				 | 
			
			
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					वैश्वामित्र, वैश्वामित्रक					 :
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					वि० [सं० विश्वामित्र+अण्+कन्] विश्वामित्र संबंधी।				 | 
			
			
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					वैश्वासिक					 :
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					वि० [सं० विश्वास+ठक्-इक]=विश्वास संबंधी।				 | 
			
			
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