शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					विट					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] १. वह जिसमें काम-वासना बहुत अधिक हो। कामुक। २. पुंश्चली स्त्रियाँ और वेश्याओं से संबंध रखने और प्रायः उन्हीं के साथ रहनेवाला व्यक्ति। लंपट। ३. बहुत बड़ा चालाक या धूर्त आदमी। ४. साहित्य में एक प्रकार का नायक जो प्रायः ऐसा व्यक्ति होता है जो बात-चीत में बहुत चतुर बहुत बड़ा धूर्त तथा लंपट हो और अपनी सारी सम्पत्ति भोग-विलास में नष्ट करके किसी विलासी राजा,राजकुमार या धनवान् के साथ बहुत-कुछ विदूषक के रूप में रहने लगा हो और उसके भोग-विलास में सहायक होकर और उसका मनोरंजन करके अपना निर्वाह भी करता हो और प्रायः वेश्याओं के साथ रहकर थोड़ा बहुत भोग-विलास भी करता है। भाण। (देखें) नामक प्रहसन या रूपक का यही नायक होता है। ५. बहुत बड़ा बदमाश या लुच्चा। ६. एक प्राचीन पर्वत। ७. दुर्गध खैर। ८. नारंगी का पेड़। ९. साँचर नमक। १॰. चूहा। ११. गुह। मल। विष्ठा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विट-लवण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मध्यम० स०] एक प्रकार का नमक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटंक					 :
				 | 
				
					वि० [सं०] ऊँचा। पुं० १. बैठने का ऊँचा स्थान। २. वह छतरी जिस पर पक्षी बैठते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० विट+कन्] १. नर्मदा के किनारे का एक प्राचीन प्रदेश। २. उक्त प्रदेश में रहनेवाली एक जाति। ३. घोड़ा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटकृमि					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] चुन्ना या चुनचुना नाम का कीड़ा जो बच्चों की गुदा में उत्पन्न होता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटप					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] १. वृक्ष या लता की नई शाखा। कोंपल। २. छतनार पेड़। झाड़। ३. पेड़। वृक्ष। ४. लता।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटपी (पिन्)					 :
				 | 
				
					वि० [सं० विटप+इनि] (वनस्पति) जिसमें नई शाखाएँ या कोपलें निकली हों। पुं० १. पेड़। वृक्ष। २. अंजीर का पेड़। ३. वटवृक्ष। बड़ का पेड़।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटपी मृग					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] शाखामृग (बंदर)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटम्राक्षिक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मध्यम० स०] सोना-मक्खी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विटामिन					 :
				 | 
				
					पुं० [अं० विटैमिन] प्रायः सभी अनाजों, तरकारियों और फलों में बहुत ही सूक्ष्म मात्रा में पाया जानेवाला एक एक नव-आविष्कृत तत्त्व जो शरीर के अंगों के पोषण, स्वास्थ्य-रक्षण आदि के लिए आवश्यक और उपयोगी माना गया है और जिसके बहुत से भेद तथा उपभेद देखे गये है (विटैमिन)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विट्					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√विट्+क्विप्] १. साँचर नमक। २. मल विष्ठा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विट् खदिर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] एक प्रकार का खदिर जो बदबूदार होता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विट्घात					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] मूत्राघात नामक रोग।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विट्ठल					 :
				 | 
				
					पुं० [?] विष्णु के अवतार एक देवता जिसकी मूर्ति पंढरपुर (महाराष्ट्र) में प्रतिष्ठित है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					विट्शूल					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] एक प्रकार का शूल रोग।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |