शब्द का अर्थ
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					वत					 :
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					अव्य० [सं०√वन् (सम्यक्,भक्ति करना)+क्त,नलोप] १. खेद। २. अनुकम्पा। ३. संतोष। ४. विस्मय आदि का बोधक शब्द।				 | 
			
			
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					वतन					 :
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					पुं० [अ०] १. जन्मभूमि। मूल वासस्थान। ३. स्वदेश।				 | 
			
			
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					वतनी					 :
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					वि० [अ०] १. वतन संबंधी। २. एक ही वतन में होनेवाला। ३. स्वदेशी। पुं० किसी की दृष्टि से उसी देश का दूसरा निवासी।				 | 
			
			
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					वतंस					 :
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					पुं० [सं० अव√तंस् (अलंकृत करना)+घञ्,अव के आकार का लोप]=अवतंस।				 | 
			
			
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					वतीतना					 :
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					अ० [सं०व्यतीत+हिं०ना (प्रत्यय)] बीतना। गुजरना। उदाहरण–अवधि वतीती अजूँ न आये।–मीराँ। स०बिताना। गुजारना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					वतीरा					 :
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					पुं० [अ० वतीरः] १. ढंग। रीति। प्रथा। २. चाल-ढाल। ३. टेव। लत।				 | 
			
			
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					वतोका					 :
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					स्त्री० [सं० अव-तोक, ब० स० अव के अकार का लोप, टाप्] जिसका गर्भ नष्ट हो गया हो। स्त्री० बाँझ स्त्री।				 | 
			
			
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					वत्					 :
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					अव्य० [सं० व्याकरण का एक प्रत्यय] एक प्रत्यय जो शब्दों के अंत में लगकर निम्नलिखित अर्थ देता है। (क) तुल्य समान। जैसे–चंद्रवत्। (ख) के अनुसार। जैसे– विधिवत्।				 | 
			
			
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					वत्तिस्थ					 :
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					वि० [सं० वृत्ति√स्था+क] १. जो अपनी वृत्ति पर स्थित हो। २. जो अपनी वृत्ति से जीविका उपार्जित करता हो।				 | 
			
			
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					वत्स					 :
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					पुं० [सं०√वद् (बोलना)+स] १. गाय का बच्चा। बछड़ा। २. छोटा बच्चा। शिशु। ३. कंस का एक अनुचर। ४. इन्द्र जौ। ५. छाती। उर। ६. एक प्राचीन देश।				 | 
			
			
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					वत्सक					 :
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					पुं० [सं० वत्स+कन्] [स्त्री० अल्पा० वत्सिका] १. पुष्प कसीस २. इन्द्र जौ। ३. कुटज। निर्गुंडी।				 | 
			
			
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					वत्सतर					 :
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					पुं० [सं० वत्स+तरप्] [स्त्री० वत्सतरी] ऐसा जवान बछड़ा जो जोता न गया हो। दोहान।				 | 
			
			
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					वत्सतरी					 :
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					स्त्री० [सं० वत्सतर+ङीष्] ऐसी बछिया जो तीन वर्ष या उससे कम की हो।				 | 
			
			
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					वत्सनाभ					 :
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					पुं० [सं० वत्य√नभ् (हिंसा)+अण्] एक प्रकार का जहरीला पौधा। बछनाग।				 | 
			
			
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					वत्सर					 :
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					पुं० [सं०√वस् (निवास करना)+सरन्, सस्य, तः०] बारह महीनों का समय। वर्ष। साल।				 | 
			
			
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					वत्सल					 :
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					वि० [सं० वत्स+लच्] बच्चों विशेषतः अपने बच्चे से अनुराग रखनेवाला। बच्चों से स्नेह करनेवाला। पुं० वात्सल्य रस।				 | 
			
			
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					वत्सासुर					 :
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					पुं० [सं० वत्स-असुर, मध्य० स०] एक असुर जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया था।				 | 
			
			
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					वत्सिमा (मन्)					 :
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					स्त्री० [सं० वत्स+इमनिच्] बचपन। बाल्यावस्था।				 | 
			
			
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					वत्सी (त्सिन्)					 :
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					वि० [सं० वत्स+इनि] जिसके बहुत से बच्चे हों। पुं० विष्णु।				 | 
			
			
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					वत्सीय					 :
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					वि० [सं० वत्स+छ-ईय] वत्स संबंधी। पुं० अहीर। ग्वाला।				 | 
			
			
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