शब्द का अर्थ
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					राष्ट्र					 :
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					पुं० [सं०√राज् (दीप्ति)+ष्ट्रन्] १. राज्य। देश। २. किसी निश्चित और विशिष्ट क्षेत्र में रहनेवाले लोग जिनकी एक भाषा, एक से रीति-रिवाज तथा एक सी विचार-धारा होती है (नेशन)। ३. किसी एक शासन में रहनेवाले सब लोगों का समूह ४. सारे देश में एक साथ खड़ा होनेवाला कोई उपद्रव या बाधा। इति। ५. पुराणानुसार पुरुरवा के वंशज काशी के पुत्र का नाम। वि० जो सब लोगों के सामने या जानकारी में आ गया हो। सर्वविदित। जैसे—उनके कानों तक पहुँचते ही यह बात राष्ट्र हो जायगी। (सबको मालूम हो जायगा)।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-कर्षण					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] राजा या शासक का प्रजा पर अत्याचार करना। राष्ट्र या जनता को कष्ट देना।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-कवि					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] वह कवि जिसकी कविताएँ राष्ट्र की आकांक्षाओं, आदर्शों आदि की प्रतीक मानी जाती हों और इसीलिए जो सारे राष्ट्र में बहुत ही आदर की तथा पूज्य दृष्टि से देखा जाता हो। जैसे—राष्ट्र कवि की मैथिलीशरण गुप्त।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-कुल					 :
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					पुं० =राष्ट्र-मंडल।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-कूट					 :
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					पुं० [सं०] १. एक क्षत्रिय राजवंश जो आज-कल राठौर नाम से प्रसिद्ध है। २. दे० ‘राठौर’।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-गोप					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र√गुप् (रक्षा)+अप्] १. राजा। २. राजाओं के प्रतिनिधि के रूप में काम करनेवाला कोई बहुत बड़ा शासक। वि० राज्य की रक्षा करनेवाला।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-तंत्र					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] राष्ट्र की शासन-पद्धति।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-भाषा					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] किसी राष्ट्र की वह भाषा जिसका प्रयोग उसके निवासी सार्वजनिक पारस्परिक कामों में करते हैं।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-भृत					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र√भू (पोषण)+क्विप्, तुक-आगम, उप० स०] १. राजा। २. शासक। ३. भरत का एक पुत्र। ४. प्रजा।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-भृत्य					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. वह जो राज्य की रक्षा या शासन करता हो। २. प्रजा।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-भेद					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारतीय राजनीति में ऐसा उपाय या कार्य जिसके द्वारा किसी शत्रु राजा के राज्य में उपद्रव, मत-भेद या विद्रोह खड़ा किया जाता था।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-मंडल					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] समान हित और समान भाव से स्वेच्छापूर्वक आबद्ध होनेवाले स्वतन्त्र राष्ट्रों का मण्डल या समूह। (कामनवेल्थ)। जैसे—ब्रिटिश राष्ट्र-मंडल जिसमें आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, भारत आदि अनेक स्वतन्त्र राष्ट्र-सदस्य रूप से सम्मिलित हैं।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-वाद					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] [वि० राष्ट्रवादी] यह मत या सिद्धान्त कि राष्ट्र के सभी निवासियों में राष्ट्रीयता की भावना दृढ़तापूर्वक बनी रहनी चाहिए, राष्ट्रीय परम्पराओं के गौरव का ध्यान रखते हुए उनका पालन होना चाहिए। यह धारणा कि हमें मात्र अपने राष्ट्र की उन्नति, सम्पन्नता, विस्तार आदि का ध्यान रखना चाहिए। (नेशनलिज्म)				 | 
			
			
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					राष्ट्र-विप्लव					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] राज्य में होनेवाला विप्लव। विद्रोह। बलवा।				 | 
			
			
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					राष्ट्र-संघ					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. संसार के प्रमुख राष्ट्रों की वह संख्या जो पहले यूरोपीय महायुद्ध की समाप्ति पर वासेई की सन्धि के अनुसार १0 जनवरी, १९२0 को सब के सामूहिक कल्याण तथा सुरक्षा के उद्देश्य से बनी थी। (लीग आफ नेशन्स)। २. दे० ‘संयुक्त राष्ट्र-संघ’।				 | 
			
			
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					राष्ट्रक					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र+कन्०] १. राज्य। २. देश। वि० राष्ट्र सम्बन्धी। राष्ट्र का।				 | 
			
			
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					राष्ट्रपति					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. किसी राष्ट्र का सर्वप्रधान शासनिक अधिकारी। २. प्रजातंत्र शासन-पद्धति में मतदाताओं द्वारा निर्वाचित वह व्यक्ति जिसके हाथ में कुछ नियत काल के लिए राष्ट्र की प्रभुसत्ता विधितः निहित होती है। (प्रेजीडेंट उक्त तीनों अर्थों में)				 | 
			
			
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					राष्ट्रपाल					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र√पाल् (रक्षा)+णिच्+अण्, उप० स०] १. राजा। २. मथुरा के राजा कंस का एक भाई।				 | 
			
			
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					राष्ट्रवादी (दिन्)					 :
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					वि० [सं० राष्ट्रवाद+इनि] राष्ट्रवाद सम्बन्धी। राष्ट्रवाद का। पुं० वह जो राष्ट्रवाद के सिद्धान्तों का अनुयायी, पोषक तथा समर्थक हो।				 | 
			
			
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					राष्ट्रवासी (सिन्)					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र√वस् (निवास करना)+णिनि] [स्त्री० राष्ट्रवासिनी] १. राष्ट्र में रहनेवाला। २. परदेशी। विदेशी।				 | 
			
			
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					राष्ट्रांतपालक					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र-अंत, पालक, ष० त०] प्राचीन भारत में वह जो राष्ट्र की सीमाओं की देख-रेख तथा रक्षा करता था। सीमारक्षक अधिकारी।				 | 
			
			
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					राष्ट्रिक					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र+ठक्-इक] १. राजा। २. प्रजा। वि० राष्ट्र-सम्बन्धी। राष्ट्र का।				 | 
			
			
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					राष्ट्रिय					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र+घ-इय] [भाव० राष्ट्रियता] १. राष्ट्र का स्वामी राजा। २. प्राचीन भारतीय नाटकों में राजा के साले की संज्ञा। वि० राष्ट्र सम्बन्धी। राष्ट्र का। राष्ट्रिक।				 | 
			
			
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					राष्ट्री (ष्ट्रिन्)					 :
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					पुं० [सं० राष्ट्र+इनि] १. राज्य का अधिकारी, राजा। २. प्रधान शासक। स्त्री रानी।				 | 
			
			
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					राष्ट्रीय					 :
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					वि० [सं० राष्ट्रीय] [भाव० राष्ट्रीयता] राष्ट्र-सम्बन्धी। राष्ट्र का। राष्ट्रिय। विशेष—राष्ट्रीय रूप सं० व्याकरण से असिद्ध होने पर भी लोक में चल गया है।				 | 
			
			
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					राष्ट्रीयता					 :
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					स्त्री० [सं० राष्ट्रीय+तल्+टाप्] १. राष्ट्रीय अर्थात् राष्ट्र के अंग या सदस्य होने की अवस्था, धर्म या भाव। २. ऐसी धारणा या भावना कि हमें आपसी मत-भेद, वैर-विरोध आदि भूलकर सारे राष्ट्र की समान उन्नति, रक्षा, समृद्धि, सुरक्षा आदि का ध्यान रखना चाहिए। (नेशनलिज्म)				 | 
			
			
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