शब्द का अर्थ
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					रक्ता					 :
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					स्त्री० [सं० रक्त+अच्+टाप्] १. संगीत में पंचम स्वर की चार श्रुतियों में से दूसरी श्रुति। २. गुंजा। घुंघची। ३. लाक्षा। लाख। ४. मंजीठ। ५. ऊँटकटारा। ६. एक प्रकार का सेम। ७. लक्ष्मण नामक कन्द। ८. वच। वचा। ९. एक प्रकार की मकड़ी। १॰. कान के पास की एक नस।				 | 
			
			
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					रक्ताकार					 :
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					पुं० [रक्त-आकार, ब० स०] मूँगा।				 | 
			
			
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					रक्तांक्त					 :
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					वि० [रक्त-अक्त, तृ, त०] १. लाल रंग में रँगा हुआ। २. जिसमें रक्त या खून लगा हो। पुं० लाल चंदन।				 | 
			
			
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					रक्ताक्ष					 :
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					पुं० [रक्त-अक्षि, ब० स० षच्, प्रत्यय] १. कोयल। २. चकोर। ३. सारस। ४. कबूतर ५. भैंसा। ६. साठ संवत्सरों में से अट्ठानवें संवत्सर का नाम। वि० लाल आँखोंवाला।				 | 
			
			
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					रक्तांग					 :
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					पुं० [रक्त-अंग, ब० स०] १. मंगल ग्रह। २. कमीला। ३. मूँगा। ४. खटमल। ५. केसर। ६. लाल चंदन। वि० लाल अँगोंवाला।				 | 
			
			
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					रक्तांगी					 :
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					स्त्री० [सं० रक्तांग+ङीष्] १. मंजीठ। २. जीवंती। ३. कुटकी।				 | 
			
			
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					रक्ताधर					 :
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					वि० [रक्त-अधर, ब० स०] [स्त्री० रक्ताधार] लाल होंठोंवाला।				 | 
			
			
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					रक्ताधरा					 :
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					स्त्री० [रक्त-अधर, ब० स० टाप्] किन्नरी।				 | 
			
			
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					रक्ताधार					 :
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					पुं० [रक्त-आधार, ष० त०] चमड़ा।				 | 
			
			
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					रक्तापह					 :
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					पुं० [सं० रक्त-अप√हन् (हिंसा)+ड] बोल (गंधद्रव्य)।				 | 
			
			
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					रक्तांबर					 :
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					पुं० [रक्त-अंबर, कर्म० स०] १. लाल वस्त्र। गेरुआ वस्त्र। २. [ब० स०] संन्यासी जो गेरुआ वस्त्र पहनता है।				 | 
			
			
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					रक्ताभ					 :
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					पुं० [रक्त-आभा, ब० स०] बीरबहूटी। वि० रक्त की तरह की लाल आभावाला। जो कुछ-कुछ लाली लिये हो।				 | 
			
			
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					रक्ताभा					 :
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					स्त्री० [सं० रक्ताभ+टाप्] लाल जवा।				 | 
			
			
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					रक्ताभ्र					 :
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					पुं० [रक्त-अभ्र, कर्म० स०] लाल अभ्रक।				 | 
			
			
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					रक्तारि					 :
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					पुं० [रक्त-अरि, ष० त०] महाराष्ट्री नामक क्षुप (पौधा)।				 | 
			
			
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					रक्तार्बुद					 :
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					पुं० [रक्त-अर्बुद, ब० स०] १. एक प्रकार का रोग जिसमें शरीर में पकने और बहनेवाली गाँठे निकल आती हैं। २. शुक्रदोष के कारण उत्पन्न होनेवाला एक रोग जिसमें लिंग पर, काले फोडे़ और उनके साथ लाल फुन्सियाँ निकल आती है।				 | 
			
			
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					रक्तार्श (र्शस्)					 :
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					पुं० [रक्त-अर्शस्, मध्य० स०] खूनी बवासीर।				 | 
			
			
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					रक्तालु					 :
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					पुं० [रक्त-आलु, कर्म० स०] रतालू (कंद)।				 | 
			
			
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					रक्तावरोधक					 :
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					वि० [रक्त-अवरोधक, ष० त०] बहते हुए खून को रोकनेवाला।				 | 
			
			
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					रक्तावसेचन					 :
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					पुं० [रक्त-अवसेचन, ष० त०] १. शरीर के सात आशयों में से चौथा जिसमें रक्त का रहना माना जाता है। २. रक्त मोक्षण।				 | 
			
			
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					रक्ताशोक					 :
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					पुं० [रक्त-अशोक, कर्म० स०] लाल अशोक का वृक्ष।				 | 
			
			
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