शब्द का अर्थ
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					योग-दर्शन					 :
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					पुं० [सं० मयू० स०] महर्षि पतंजलि कृत योग-सूत्र नामक प्रसिद्ध दर्शन-ग्रन्थ जो हमारे यहाँ के छः दर्शनों में से एक है। विशेष—यह समाधि साधन, विभूति और कैवल्य नामक चार पदों या भागों में विभक्त है। इसमें योग अर्थात् ईश्वर-प्राप्ति के उद्देश्य, लक्षण तथा साधन के उपाय या प्रकार बतलाये गये हैं, और उसके भिन्न-भिन्न अंगों का विवेचन किया गया है। इसमें चित्त की भूमियों या वृत्तियों का भी विवेचन है। इस योग-सूत्र का प्राचीनतम भाष्य वेद व्यास का है जिस पर वाचस्पति का वार्तिक भी है।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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