शब्द का अर्थ
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					मथन					 :
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					पुं० [सं०√मथ् (मथना)+ल्युट्—अन] १. मथने की क्रिया या भाव। बिलोना। २. एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र। ३. गनियारी नामक वृक्ष। वि० १. नष्ट करनेवाला। २. मार डालने या बध करनेवाला। (यौ० के अन्त में) जैसे—मदन-मथन।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मथना					 :
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					स० [सं० मथन या मंथन] १. मथानी आदि के द्वारा दूध या दही को इस प्रकार चालाना या हिलाना कि उसमें से मक्खन निकल आये। संयो० क्रि०—डालन।—देना।—लेना। २. कई चीजों को हिला-डुलाकर एक से मिलाना। ३. अस्त-व्यस्त या नष्ट-भ्रष्ट करना। ४. कुछ जानने या पता लगाने के लिए जगह-जगह ढूँढ़ना या देखना। जैसे—(क) बड़े-बड़े शास्त्र मथना। (ख) किसी को ढूँढ़ने के लिए सारा शहर मथना। ५. कोई क्रिया बहुत अधिक या बार-बार करना। जैसे—तुम तो एक ही बात लेकर मथने लगते हो। ६. अच्छी तरह पीटना या मारना। पुं० मथानी। रई।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					मथनियाँ					 :
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					स्त्री०=मथनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					मथनी					 :
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					स्त्री० [हिं० मथना] १. मथने की क्रिया या भाव। २. वह मटका जिसमें दही मथा जाता है। ३. मथानी। रई।				 | 
			
			
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