शब्द का अर्थ
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					मणि					 :
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					स्त्री० [सं०√मण् (अव्यक्त शब्द)+इन्] १. बहुमूल्य रत्न। जवाहिर। २. किसी वर्ग का कोई सर्व-श्रेष्ठ पदार्थ या व्यक्ति। जैसे—रघुकुल मणि। ३. बकरी के गले में लटकनेवाली थाली। ४. पुरुष की इन्द्रिय का अगला भाग। ५. योनि का अगला भाग। ७. घड़ा।				 | 
			
			
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					मणि-कर्णिका					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] १. मणियों से जड़ा हुआ कान में पहनने का गहना। २. काशी का एक प्रसिद्ध घाट। विशेष—पौराणिक कथा है कि शिव जी का मणि-जटित कुंडल उक्त स्थान पर उस समय गिरा था जब वे विष्णु की तपस्या से प्रसन्न होकर झूम उठे थे।				 | 
			
			
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					मणि-कानन					 :
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					पुं० [ष० त०] गला। कंठ।				 | 
			
			
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					मणि-कूट					 :
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					पुं० [ब० स०] कामरूप के पास का एक पर्वत (पुराण)।				 | 
			
			
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					मणि-केतु					 :
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					पुं० [उपमि० स०] एक बहुत छोटा पुच्छल तारा जिसकी पूंछ दूध-सी सफेद मानी गई है।				 | 
			
			
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					मणि-गुण					 :
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					पुं० [ब० स०] एक प्रकार का वर्णिक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में चार नगर और एक सगण होता है। शशिकला। शरभ।				 | 
			
			
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					मणि-ग्रीव					 :
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					पुं० [ब० स०] कुबेर का एक पुत्र।				 | 
			
			
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					मणि-जला					 :
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					स्त्री० [ब० स०] महाभारत के अनुसार एक प्राचीन नदी।				 | 
			
			
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					मणि-तारक					 :
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					पुं० [ब० स०] सारस।				 | 
			
			
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					मणि-दीप					 :
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					पुं० [सं० मणिदीप] १. मणिजटित दीपक। २. दीपक की तरह प्रकाश करनेवाला रत्न।				 | 
			
			
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					मणि-द्वीप					 :
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					पुं० [मध्य० स०] पुराणानुसार रत्नों का बना हुआ एक द्वीप जो क्षीरसागर में है। इसी में त्रिपुर सुंदरी का निवास माना गया है।				 | 
			
			
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					मणि-धनु (स्)					 :
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					पुं० [मध्य० स० या उपमि० स०] इन्द्र का धुनष।				 | 
			
			
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					मणि-धर					 :
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					पुं० [ष० त०] सर्प। साँप।				 | 
			
			
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					मणि-बंध					 :
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					पुं० [सुप्सुपा स०] १. एक नवाक्षरी वृत्त जिसके प्रति चरण में भगण, मगण और सगण होते हैं। २. कलाई। पहुँचा।				 | 
			
			
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					मणि-बीज					 :
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					पुं० [ब० स०] अनार का पेड़।				 | 
			
			
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					मणि-भद्र					 :
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					पुं० [ब० स०] एक यक्ष।				 | 
			
			
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					मणि-भित्ति					 :
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					स्त्री० [ब० स०] शेषनाग का प्रासाद।				 | 
			
			
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					मणि-मंडप					 :
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					पुं० [मध्य० स०] १. मणियों से सजाया हुआ मंडप। २. शेषनाद का प्रासाद।				 | 
			
			
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					मणि-माला					 :
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					स्त्री० [ष० त०] १. मणियों अर्थात् रत्नों की माला। २. लक्ष्मी। ३. चमक। ४. बारह अक्षरों का एक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तगण, यगण, तगण, यगण होते हैं। ५. आभा। चमक।				 | 
			
			
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					मणि-राग					 :
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					पुं० [ब० स०] १. हिंगुल। शिंगरफ। २. रत्न का रंग।				 | 
			
			
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					मणि-राजी					 :
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					स्त्री० [ष० त०] मणियों का समूह। उदा०—देख बिखरती है मणिराजी, अरी उठा बेसुध चंचल।—प्रसाद।				 | 
			
			
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					मणि-रोग					 :
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					पुं० [ष० त०] पुरुषेंद्रिय संबंधी एक रोग।				 | 
			
			
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					मणि-शैल					 :
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					पुं० [ष० त०] मंदराचल के पूर्व में स्थित एक पर्वत (पुराण)।				 | 
			
			
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					मणि-श्याम					 :
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					पुं० [स० त०] नीलम।				 | 
			
			
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					मणि-सर					 :
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					पुं० [सुप्सुपा स०] मोतियों की माला।				 | 
			
			
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					मणि-सोपानक					 :
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					पुं० [मध्य० स०] सोने के तार में पिरोये हुए मोतियों की ऐसी माला जिसके बीच में रत्न हों। (कौ०)				 | 
			
			
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					मणिक					 :
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					पुं० [सं० मणि+कन्] १. मिट्टी का घड़ा। योनि का अग्रभाग। ३. स्फटिक निर्मित प्रासाद।				 | 
			
			
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					मणिकार					 :
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					पुं० [सं० मणि√कृ (करना)+अण्] जौहरी।				 | 
			
			
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					मणिगुण-निकर					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] मणि-गुण नामक छंद का एक भेद जो उसके ८वें वर्ण पर विराम करने से बनता है।				 | 
			
			
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					मणिच्छिद्रा					 :
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					स्त्री० [ब० स०] १. मेधा नाम की औषधि। २. ऋषभा नाम की ओषधि।				 | 
			
			
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					मणिपुर					 :
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					पुं० [ष० त०] १. भारत तथा बर्मा की सीमा पर स्थित केन्द्र-शासित भारतीय प्रदेश। २. उक्त प्रदेश की राजधानी।				 | 
			
			
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					मणिपूर					 :
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					पुं० [सं० मणिपुर] सुषुम्ना नाड़ी के अन्दर माने जानेवाले छः चक्रों में से तीसरा चक्र जो नाभिक्षेत्र में स्थित है।				 | 
			
			
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					मणिभ					 :
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					पुं० [सं०] किसी तरह घोल को सुखाकर उसके बनाये हुए छोटे नुकीले कण। रवा (क्रिस्टल)।				 | 
			
			
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					मणिभीकरण					 :
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					पुं० [सं०] ऐसी क्रिया करना जिससे कोई तरलघोल स्फटिक का रूप ग्रहण कर ले। निश्चित और ठोस आकार धारण करना (क्रिस्टेलाइजेशन)।				 | 
			
			
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					मणिभू					 :
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					स्त्री० [ष० त०] वह क्षेत्र विशेषतः खान जिसमें रत्न हों।				 | 
			
			
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					मणिभेघ					 :
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					पुं० [सं०] दक्षिण भारत का एक पर्वत (पुराण)।				 | 
			
			
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					मणिमध्य					 :
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					पुं० [ब० स०] मणिबंध नामक छंद।				 | 
			
			
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					मणिमय					 :
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					पुं० [सं० मणि+मयट्] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति का एक राग। वि० मणि या मणियों से युक्त।				 | 
			
			
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					मणिमान् (मत्)					 :
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					वि० [सं० मणि+मतुप्] ममि-युक्त। पुं० १. सूर्य। २. एक प्राचीन पर्वत।				 | 
			
			
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