शब्द का अर्थ
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					भवाँ					 :
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					स्त्री० [हिं० बवना] चक्कर। पेरी। उदाहरण—राते कँवल करहिं अलि भवाँ घमहिं मानि चहहि अपसवाँ।—जायसी।				 | 
			
			
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					भवा					 :
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					स्त्री० [सं० भाव+टाप्०] १. भवानी। पार्वती। २. दुर्गा।				 | 
			
			
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					भवाचल					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] कैलास पर्वत।				 | 
			
			
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					भवांतर					 :
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					पुं० [सं० मयू० स०] पहले का अथवा आगे चलकर होनेवाला जन्म।				 | 
			
			
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					भवाँना					 :
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					स० [सं० भ्रमण] घुमाना। फिराना। चक्कर देना।				 | 
			
			
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					भवाना					 :
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					स०=भवाँना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					भवानी					 :
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					स्त्री० [सं० भव+ङीष्, आनुक्] १. भव की भार्या। दुर्गा। २. छत्रपति शिवाजी की तलवार की संज्ञा। ३. संगीत में बिलावन ठाठ की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					भवानी-कांत					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] शिव।				 | 
			
			
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					भवानी-गुरु					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] हिमवान्।				 | 
			
			
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					भवानी-नंदन					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. गणेश। २. कार्तिकेय।				 | 
			
			
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					भवानी-पति					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] शिव।				 | 
			
			
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					भवांबुधि					 :
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					पुं० [सं० भव-अंबुधि, कर्म० स०] संसार रूपी सागर।				 | 
			
			
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					भवायना					 :
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					स्त्री० [सं० भव-आयन, ब० स०,+टाप्] गंगा जो शिव की जटा से निकली है। भवायनी।				 | 
			
			
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					भवार्णव					 :
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					पुं० [सं० भव-अर्णव, कर्म० स०] भव सागर।				 | 
			
			
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