शब्द का अर्थ
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					भवँ					 :
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					स्त्री०=भौंह।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√भू (होना)+अप्] १. होने की अवस्था,क्रिया या भाव। सत्ता। २. उत्पत्ति। ३. जन्म। ४. जगत्। संसार। ५. संसार में बार-बार जन्म लेने और मरने का कष्ट। ६. प्राप्ति। ७. कारण। हेतु। ८. शिव। ९. कामदेव। १॰. मांस। ११. बादल। मेघ। वि० १. समस्त पदों के अन्त में किसी के उत्पन्न। जन्मा हुआ। उत्पन्न। २. कुशल। होशियार। ३. मंगलकारक। शुभ। पुं० =भय (डर)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-कूप					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] संसार रूपी कूआँ जिसमे लोग अँधेरे में रहकर कष्ट भोगते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-केतु					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] बृहत्संहिता के अनुसार पूर्व में कभी कभी दिखाई देनेवाला एक पुच्छल तारा जिसकी पूँछ शेर की पूँछ की भाँति दक्षिणावर्त होती है। कहते है कि जितने मुहूर्त तर यह दिखाई देता है,उतने महीने तक भीषण अकाल या महामारी होती है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-चाप					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] शिव जी का धनुष। पिनाक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-जाल					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०] सांसारिक प्रपंच।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-दारु					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मध्य० स०] देवदारु।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-नाशिनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] सरयू नदी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-प्रत्यय					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] योग में समाधि की एक अवस्था।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-बंधन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. जन्म-मरण का चक्र। २. सांसारिक कष्ट और दुःख।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भंग					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] आवागमन से होनेवाली छुट्टी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भंजन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. परमेश्वर। 2. संसार का नाश करनेवाला, काल।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भय					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] बार बार संसार में जन्म लेने और मरने का भय।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भामिनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] शिव की पत्नी-पार्वती।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भाव					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] भौतिक बातों के प्रति होनेवाला प्रेम।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भीत					 :
				 | 
				
					वि० [सं० ष० त०] [भाव० भव-भीति] जिसे यह भय हो कि मुझे बार बार संसार में जन्म लेना और मरना पड़ेगा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भूति					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] ऐश्वर्य। पुं० ‘उत्तर रामचरित’ नाटक के रचयिता संस्कृत के एक प्रसिद्ध महाकवि।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भूषण					 :
				 | 
				
					वि० [ष०त०] जो जगत् के भूषण के रूप में हो। पुं० शिव का भूषण, राख आदि।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-भोग					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] सांसारिक सुखों का किया जानेवाला भोग।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-मोचन					 :
				 | 
				
					वि० [सं० ष० त०] भव-बंधन काटनेवाला। पुं० श्रीकृष्ण।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-रस					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] सांसारिक बातों के प्रति होनेवाला अनुराग और उनसे मिलनेवाला सुख।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-वामा					 :
				 | 
				
					स्त्री० [ष०त०] शिव की पत्नी, पार्वती।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-विलास					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. माया। २. सांसारिक सुखों के भोग के निमित्त की जानेवाली क्रीड़ाएँ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-शूल					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] लोक में जन्मने, जीवित रहने और मरने पर होनेवाला कष्ट।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-शेखर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] चंद्रमा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-सागर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] संसार रूपी समुद्र।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव-सिंधु					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] संसार रूपी समुद्र।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवक					 :
				 | 
				
					वि० [सं०√भू+वुन्-अक] १. उत्पन्न। जीता हुआ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवंग, भवंगा					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भुजंग] साँप। सर्प। उदाहरण—विरह भवंग मेरो डंस्यो है कलेजो।—मीराँ।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवचक्र					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. धनुष। २. बौद्धों में वह कल्पित चक्र जिससे यह जाना जाता है कि कौन-कौन कर्म करने से जीवात्मा को किन-किन योनियों में जन्म लेना पड़ता है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवतव्यता					 :
				 | 
				
					स्त्री०=भवितव्यता।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवती					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भवत्+ङीष्] एक प्रकार का जहरीला बाण।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवत्					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√भा (प्रकाश) +डवतु] १. भूमि। जमीन। २. विष्णु। वि० पूज्य। मान्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवदीय					 :
				 | 
				
					सर्व० [सं०√भू (होना)+ल्युट-अन] [स्त्री० भवदीया] आपका। (प्रायः पत्रों के अन्त में, लेखक के नाम से पहले आत्मीयता और नम्रता सूचित करने के लिए प्रयुक्त)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√भू (होना)+ल्युट-अन] १. अस्तित्व में आना। उत्पत्ति या जन्म। २. कोई वास्तु-रचना विशेषतः वास-स्थान। ३. प्रासाद। महल। ४. जगत्। संसार। ५. आधार या आश्रय का स्थान। जैसे—करुणाभवन। ६. छप्पय का एक भेद। पुं० [सं० भ्रमण] १. चारों ओर घूमने या चक्कर लगाने की क्रिया या भाव। भ्रमण। २. कोल्हू के चारों ओर का वह चक्कर जिसमें बैल घूमते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवन-कक्ष्या					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं०] महल या राजप्रासाद का आंगन या चौक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवन-दीर्घिका					 :
				 | 
				
					स्त्री० दे० ‘गृह-दीर्घिका’।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवन-पति					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. घर का मालिक। गृहपति। २. राशि चक्र में किसी ग्रह का स्वामी। ३. जैनियों के दस देवताओं का एक वर्ग जिनके नाम ये हैं—असुरकुमार, नागकुमार, तडित्कुमार, सुवर्णकुमार, बहिकुमार, अनिलकुमार, स्तनित्कुमार, उदधिकुमार, द्वीपकुमार, और दिक्कुमार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवनवासी (सिन्)					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भवन√वस् (निवास करना)+णिनि] जैनों के अनुसार आत्माओं के चार भेदों में से एक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवना					 :
				 | 
				
					अ० [सं० भ्रमण] घूमना। फिरना। चक्कर खाना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भवन] =गृहिणी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवनीय					 :
				 | 
				
					वि० [सं०√भू (होना)+अनीयर] १. भविष्य में होनेवाला। २. आसन्न। सन्निकट।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवन्नाथ					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] विष्णु।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवपाली					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०+ङीष्] तांलिकों के अनुसार भुवनेश्वरी देवी जो संसार की रक्षा करने वाली मानी गई है।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवँर					 :
				 | 
				
					स्त्री०=भँवर। पुं० =भौंरा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवरय					 :
				 | 
				
					स्त्री०=भाँवरी। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवाँ					 :
				 | 
				
					स्त्री० [हिं० बवना] चक्कर। पेरी। उदाहरण—राते कँवल करहिं अलि भवाँ घमहिं मानि चहहि अपसवाँ।—जायसी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवा					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भाव+टाप्०] १. भवानी। पार्वती। २. दुर्गा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवाचल					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] कैलास पर्वत।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवांतर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० मयू० स०] पहले का अथवा आगे चलकर होनेवाला जन्म।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवाँना					 :
				 | 
				
					स० [सं० भ्रमण] घुमाना। फिराना। चक्कर देना।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवाना					 :
				 | 
				
					स०=भवाँना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवानी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भव+ङीष्, आनुक्] १. भव की भार्या। दुर्गा। २. छत्रपति शिवाजी की तलवार की संज्ञा। ३. संगीत में बिलावन ठाठ की एक रागिनी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवानी-कांत					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] शिव।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवानी-गुरु					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] हिमवान्।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवानी-नंदन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. गणेश। २. कार्तिकेय।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवानी-पति					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] शिव।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवांबुधि					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भव-अंबुधि, कर्म० स०] संसार रूपी सागर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवायना					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भव-आयन, ब० स०,+टाप्] गंगा जो शिव की जटा से निकली है। भवायनी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवार्णव					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भव-अर्णव, कर्म० स०] भव सागर।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवि					 :
				 | 
				
					वि० =भव्य। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविक					 :
				 | 
				
					वि० [सं० भव+ठन्-इक] १. मंगलकारी। २. धार्मिक। २. उपयोगी। उपयुक्त। ४. प्रसन्न। ५. समृद्ध। पुं० कल्याण। मंगल।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवित					 :
				 | 
				
					भू० कृ० [सं०] १. अस्तित्व में आया हुआ। २. गत। भूत।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवितव्य					 :
				 | 
				
					वि० [सं०√भू+तव्यम्] [भाव० भवितव्यता] १. जो भविष्य में विशेषतः आसन्न भविष्य मे निश्चित रूप से होने को हो। २. जो भाग्य में बदा हो।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवितव्यता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भवितव्य+तल्+टाप्] १. ऐसा काम या बात जो भविष्य में ईश्वरीय विधान के अनुसार आश्वय होने को हो। २. भाग्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविता (तृ)					 :
				 | 
				
					वि० [सं०√भू+तृच्] [स्त्री० भवित्री] १. आगे चलकर आने या होनेवाला। २. जो आगे चलकर अच्छा या उत्तम होने को हो। होनहार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविषय					 :
				 | 
				
					पुं० =भविष्य। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्य					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√भू (होना)+लुट्-शतृ, स्य, पृषो० ल-लोप] १. आनेवाला समय। वर्तमान के बाद आनेवाला काल। २. व्याकरण में भविष्यत् काल। (दे०)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्य सुरति गोपना					 :
				 | 
				
					स्त्री०=भविष्य गुप्ता (नायिका)।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्य-गुप्ता					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] वह गुप्ता नायिका जो रति में प्रवृत्त होनेवाली हो और पहले से उसे छिपाने का प्रयत्न करे० भविष्य सुरति। गुप्ता।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्य-ज्ञान					 :
				 | 
				
					पं० [सं० कर्म स०] होनेवाली बातों की जानकारी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्य-निधि					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ष० त०] १. भविष्य में होनेवाली आवश्यकताओं या स्थितियों के निमित्त संचिक किया जानेवाला कोश या धनराशि। २. आजकल नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के लिए संचित किया जानेवाला धन जो कर्मचारी की सेवा छोड़ने के समय दिया जाता है। निर्वाह निधि। (प्राविंडेंट फंड) ३. वह धन जो उक्त निधि में समय समय पर कर्मचारी या नियोक्ता जमा करते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्य-पुराण					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] अठारह पुराणों में से एक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्यत्					 :
				 | 
				
					पुं० [सं०√भू (होना)+लृट्-शतृ, स्य] वर्तमान काल के उपरांत आनेवाला काल। आने वाला समय आगामी काल। भविष्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्यत्-काल					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० कर्म० स०] व्याकरण में क्रियापद का वह रूप जो भविष्य में क्रिया के घटित होने की सूचना देता है। क्रियापद के इस रूप में गा गी गे आदि जुड़े होते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्यदाक्षेप					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भविष्यत्-आक्षेप, कर्म० स०] साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्यद्वक्ता (क्तृ)					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भविष्यत्-वक्तृ, ष० त०] १. भविष्य में होनेवाली घटनाओं का कथन करनेवाला। २. ज्योतिषी।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भविष्यद्वाणी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० भविष्यत्-वाणी, ष० त०] ऐसा कथन या वक्तव्य जो भविष्य में होनेवाली किसी घटना की अग्रिम सूचना देता हो। आने या होनेवाली घटना का पहले से कथन।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवीला					 :
				 | 
				
					वि० [हिं० भाव+ईला (प्रत्यय)] १. भावपूर्ण। २. बाँका। तिरछा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भवेश					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० भव-ईश, ष० त०] १. संसार का स्वामी परमेश्वर। २. शिव।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					भव्च्छेद					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] संसार में होनेवाला आवागमन से मुक्ति।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					भव्य					 :
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					वि० [सं०√भू (होना)+यत्] [भाव० भव्यता] १. जो देखने में बड़ा और सुन्दर जान पड़े। शानदार। २. मंगलदायक। शुभ। ३. सच्चा। सत्य। ४. योग्य। लायक। ५. भविष्य में आने या होनेवाला। ६. जिसे जन्म धारण करना पड़ता हो। पुं० १. भलता नामक वृक्ष। २. कमरख। ३. नीम। ४. करेला। ५. मनु चाक्षुप के अन्तर्गत देवताओं का एक वर्ग। ६. ध्रुव का एक पुत्र। ७. वह जिसे लिंगपद की प्राप्ति हो। भवसिद्धक। (जैन)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					भव्यता					 :
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					स्त्री० [सं० भव्य+तल्+टाप्] भव्य होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					भव्या					 :
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					स्त्री० [सं० भव्य+टाप्] १. उमा। पार्वती। २. गजपीपल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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