शब्द का अर्थ
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					भय					 :
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					पुं० [सं०√भी (भय)+अच्] १. वह मानसिक स्थिति जो किसी अनिष्ट या संकट सूचक संभावना से उत्पन्न होती है और जिससे प्राणी चिन्तित और विकल होने लगता है। मुहावरा— (किसी से) भय खाना=डरना। २. बालकों का वह रोग जो उनके डर जाने के कारण होता है। ३. निऋति के एक पुत्र का नाम। ४. अभिमति नामक स्त्री के गर्भ से उत्पन्न द्रोण का एक पुत्र।				 | 
			
			
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					भय-कर					 :
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					वि० [सं० ष० त०] [भाव० भयंकारी] भय उत्पन्न करने या डरानेवाला। भयभीत करनेवाला।				 | 
			
			
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					भय-दर्शी (र्शिन्)					 :
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					वि० [सं० भय√दृश् (देखना)+णिनि] भयंकर। भयानक।				 | 
			
			
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					भय-दान					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. किसी प्रकार के भय से दान करना। २. वह दान जो भयभीत होकर दिया गया हो।				 | 
			
			
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					भय-दोष					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] ऐसा दोष जो अपनी इच्छा के विरुद्ध परन्तु जातीय प्रथा के अनुसार कोई काम करने पर माना जाता है। (जैन)				 | 
			
			
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					भय-नाशक					 :
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					वि० [सं० ष० त०] [स्त्री० भयनाशिनी] भय को दूर करनेवाला। पुं० विष्णु।				 | 
			
			
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					भय-प्रद					 :
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					वि० [सं० भय+प्र√दा (देना)+क] भय उत्पन्न करनेवाला।				 | 
			
			
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					भय-भीत					 :
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					भू० कृ० [सं० ष० त०] भय से आतंकित। डरा हुआ।				 | 
			
			
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					भय-भ्रष्ट					 :
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					वि० [सं० तृ० त०] [भाव० भयभ्रष्टता] डरकर भागा हुआ।				 | 
			
			
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					भय-मोचन					 :
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					वि० [सं० ष० त०] भय दूर करने या हटानेवाला।				 | 
			
			
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					भय-वर्जिता					 :
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					स्त्री० [सं० तृ० त०] प्राचीन भारत में व्यवहार में दो गाँवों के बीच की वह सीमा जिसे वादी और प्रतिवादी आपस में मिलकर स्थिर कर लें।				 | 
			
			
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					भय-व्यूह					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] प्राचीन भरत में संकट की स्थिति में सैनिकों की होनेवाली एक प्रकार की व्यूहरचना।				 | 
			
			
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					भय-हरण					 :
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					वि० [सं० ष० त०] भय दूर करनेवाला।				 | 
			
			
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					भय-हारी (रिन्)					 :
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					वि० [सं० भय√हृ (हरण)+णिनि] भय दूर करनेवाला।				 | 
			
			
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					भय-हेतु					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] भय का विषय। वह जिसके कारण भय उत्पन्न होता हो।				 | 
			
			
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					भयंकर					 :
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					वि० [सं० भय√कृ (करना)+खच्, मुम्] [भाव० भयंकरता] १. जिसे देखकर लोग भयभीत होते हों। भयभीत करनेवाला। २. आकार-प्रकार की दृष्टि से उग्र तथा डरावना। ३. बहुत अधिक तीव्र या प्रबल। अत्यधिक भीषण। जैसे—भयंकर गरमी पड़ना।				 | 
			
			
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					भयंकरता					 :
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					स्त्री० [सं० भयंकर+तल्+टाप्] भयंकर होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					भयचक					 :
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					वि० =भौचक।				 | 
			
			
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					भयडिंडम					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का बाजा जो युद्ध के समय बजाया जाता था।				 | 
			
			
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					भयत					 :
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					पुं० [?] चंद्रमा। (डिंगल)।				 | 
			
			
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					भयद					 :
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					वि० [सं० भय√दृश् (देखना)+णिनि] भय उत्पन्न करनेवाला। भयप्रद।				 | 
			
			
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					भयवाद					 :
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					पुं० [हिं० भाई+आद (प्रत्यय)] १. एक ही गोत्र या वंश के लोग। भाई-बंद। २. आपसदारी के लोग। आत्मीय जन।				 | 
			
			
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					भया					 :
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					स्त्री० [सं० भय+अच्+टाप्] १. एक राक्षसी जो काल की बहन तथा विद्युत्केश की माता थी। २. प्राचीन भारत में ६2 हाथ लंबी, 5६ हाथ चोंड़ी तथा ३३ हाथ लंबी एक प्रकार की नाव। पुं० [हिं० भइया] भाई के लिए संबोधन। भइया। जैसे—सँभार हे भइया तू वार आपन।				 | 
			
			
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					भयाकुल					 :
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					वि० [सं० भय-आकुल, तृ० त०] जो भय से ब्याकुल या विकल हो रहा हो। भय से घबराया हुआ।				 | 
			
			
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					भयादोहन					 :
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					पुं० [सं० भय-आदोहन] किसी को भय दिखलाकर या डरा-धमकाकर उससे कुछ प्राप्त करने या लाभ उठाने की क्रिया या भाव। (ब्लैकमेल)				 | 
			
			
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					भयान					 :
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					वि० =भयानक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					भयानक					 :
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					वि० [सं०√भी (डरना)+आनक्] जिसकी अवधारणा शारीरिक विकृति या उग्रतापूर्ण आचरण से भय लगता हो। पुं० १. बाघ। २. राहु। ३. साहित्य में नौ रसों में एक रस जिसका स्थायी भाव भय हैं। हिंसक पशु, अपराधी, व्यक्ति वीभत्स आचरण आदि इसके आलंबन है आलम्बन की चेष्टाएँ और अपनी असहाय अवस्था इसके उद्दीपन हैं। अश्रु, कंप आदि अनुभाव है और त्रास, मोह, चिंता आदेश आदि व्यभिचारी हैं।				 | 
			
			
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					भयाना					 :
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					अ० [सं० भय+हिं० आना (प्रत्यय)] भयभीत होना। डरना। भयभीत करना। डराना।				 | 
			
			
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					भयापह					 :
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					वि० [सं० भय+अप√हन् (मारना)+ड] भय दूर करनेवाला।				 | 
			
			
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					भयारा					 :
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					वि० =भयानक।				 | 
			
			
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					भयार्त					 :
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					भू० कृ० [सं० भय+आर्त, तृ० त०] भय से आर्त या भय से त्रस्त।				 | 
			
			
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					भयावन					 :
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					वि० =भयावना।				 | 
			
			
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					भयावना					 :
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					अ० स०=भयाना। वि० [सं० भय+हिं० आवना (प्रत्यय)] [स्त्री० भयावनी] भयानक।				 | 
			
			
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					भयावह					 :
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					वि० [सं० भय+आ√वह् (पहुँचाना)+अच्] जिसे देखने से डर लगे। भयजनक। भयंकर। डरावना।				 | 
			
			
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					भय्या					 :
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					पुं० =भैया। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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