शब्द का अर्थ
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					बीन					 :
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					स्त्री० [सं० वीणा] १. सितार की तरह का पर उससे बड़ा एक प्रकार का प्रसिद्ध बाजा। वीणा। २. सँपेरों के बजाने की तूमड़ी। ३. उक्त के बजाने पर होनेवाला शब्द। ४. बाँसुरी। वि० [सं० वीक्षण से फा०] [भाव० बीनी] १. देखनेवाला। यौ० के अन्त में। जैसे—तमाशबीन। २. दिखानेवाला। जैसे—दूरबीन।				 | 
			
			
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					बीनकार					 :
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					पुं० [हिं० बीन+फा० कार] [भाव० बीनकारी] वह जो बीन या वीणा बजाने में प्रवीण हो।				 | 
			
			
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					बीनना					 :
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					स० [सं० विनयन] १. दे० ‘चुनना’। २. छोटी-छोटी चीजों तो उठाना। ३. चीजें अलग करना। छाँटना। स० १.=बींधना। २.=बुनना। उदा०—बीनो स्नेह सुरुचि संयम से शील-वसन नव भव यौवन का।—पंत।				 | 
			
			
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					बीना					 :
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					पुं० [फा० बीम=भय] १. किसी प्रकार की हानि विशेषतः आर्थिक हानि पूरी करने की वह जिम्मेदारी जो कुछ निश्चित धन मिलने पर उसके बदले में अपने ऊपर ली जाती है। कुछ धन लेकर इस बात का भार अपने ऊपर लेना कि यदि अमुक कार्य में अमुक प्रकार की हानि होगी तो उसकी पूर्ति हम इतना धन देकर कर देंगे। (इन्श्योरेंन्स) विशेष—ऐसी जिम्मेदारी बाहर भेजी जानेवाली चीजों और दुर्घटनाओं से होनेंवाली धन-जन की हानि के संबंध मे, पारस्परिक समझौते से होती है, और बीमा करनेवाले को उसके बदले में कुछ निश्चित धन एक साथ अथवा कुछ किश्तों में देना पड़ता है। २. वह पत्र जिसपर उक्त प्रकार के समझौते की शर्तें लिखी होती हैं और जिस पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होते हैं। ३. वह पत्र या पारसल जिसकी हानि आदि के संबंध में उक्त प्रकार की जिम्मेदारी ली या सौंपीं गई हो।				 | 
			
			
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					बीनी					 :
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					स्त्री० [फा०] देखने की किया या भाव। जैसे—तमाशबीनी, सैरबीनी आदि।				 | 
			
			
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