शब्द का अर्थ
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					बहिष्क					 :
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					वि० [सं०] बाहर का।				 | 
			
			
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					बहिष्करण					 :
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					पुं० [सं० बहिस्-करण, सुप्सुपा स०] १. बाहर करना या निकालना। २. किसी क्षेत्र से अलग या दूर करना। दे० ‘बहिष्कार’। ३. शरीर की बाहरी इन्द्रिय। ‘अन्तःकरण’ का विपर्याय।				 | 
			
			
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					बहिष्कार					 :
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					पुं० [सं० बहिस्-कार, सुप्सुपा स०] [वि० बहिष्कृत] १. बाहर करना। निकालना। २. अलग या दूर करना। हटाना। ३. एक प्रकार का आधुनिक आन्दोलन जिसमें किसी व्यक्ति से या किसी के काम या बात से असन्तुष्ट और रुष्ट होकर उसके साथ सब प्रकार का व्यवहार या सम्बन्ध छोड़ दिया जाता है। ४. देश-विदेश के माल का सामूहिक व्यवहार-त्याग। (बॉयकाट; उक्त दोनों अर्थों में)				 | 
			
			
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					बहिष्कृत					 :
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					भू० कृ० [सं० बहिस्-कृत्, सुप्सुपा स०, स—ष्] १. जिसका बहिष्कार हुआ हो या किया गया हो। २. बाहर किया हुआ। निकाला हुआ। ३. अलग या दूर किया हुआ। हटाया हुआ। ४. जिसके साथ सम्बन्ध रखना छोड़ दिया गया हो। त्यक्त।				 | 
			
			
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					बहिष्क्रिया					 :
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					स्त्री० [सं० बहिस्क्रिया, सुप्सुपा स०] १. किसी चीज पर या उसके सम्बन्ध में बाहर की ओर से की जानेवाली क्रिया। २. बहिष्करण।				 | 
			
			
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