शब्द का अर्थ
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					बरन					 :
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					पुं०=वर्ण। अव्य० [सं० वर्ण] तरह। प्रकार। उदाहरण—तरुन तमाल बरन तनु सोहा।—तुलसी। अव्य० वरन् (बल्कि)।				 | 
			
			
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					बरन धाम					 :
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					पुं० दे० ‘वर्णाश्रम’। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बरनन					 :
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					पुं०=वर्णन। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बरनना					 :
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					स० [सं० वर्णन] वर्णन करना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बरनर					 :
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					पुं० [अ० बर्नर] लैम्प, लालटेन आदि का एक उपकरण जिसमें बत्ती लगायी जाती है।				 | 
			
			
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					बरना					 :
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					स० [सं० वरण] १. वर या वधू के रूप में ग्रहण करना। पति या पत्नी के रूप में स्वीकार करना। वरण करना। ब्याहना। २. कोई काम करने केलिए किसी को चुनना या ठीक करना। नियुक्त करना। ३. दान के रूप में देना। स्त्री० [सं० वरुणा] काशी के पास की वरुणा नाम की नदी। पुं० [सं० वरुण] एक प्रकार का सुन्दर वृक्ष जो प्रायः सीधा ऊपर की ओर उठा रहता है। बल्ला। बलासी। अ० -बलना (जलना)। स०=बटना (डोरा, रस्सी आदि)।				 | 
			
			
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					बरनाबरन					 :
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					वि० [सं० वर्ण] १. अनेक वर्णोंवाला। रंग-बिंरगा। २. अनेक प्रकार का। तरह-तरह का।				 | 
			
			
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					बरनाला					 :
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					पुं० [हिं० परनाला] समुद्री जहाज में की वह नाली जिसमें से उसका फालतू पानी निकलकर समुद्र में गिरता है। (लश०)				 | 
			
			
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					बरनि					 :
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					स्त्री० [हिं० बरना] बरने अर्थात् जलने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					बरनी					 :
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					वि० स्त्री० [सं० वरण] वरण की हुई। स्त्री० दुल्हिन। उदाहरण—दुहुँ सँकोच सँकुचित बर बरनी।—तुलसी। स्त्री०=वरणी।				 | 
			
			
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					बरनेत					 :
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					स्त्री० [हिं० बरना-वरण करना+एत (प्रत्यय)] विवाह के मुहुर्त से कुछ पहले की एक रस्म जिसमें कन्या पक्षवाले वर-पक्ष के लोगों को मंडप में बुलाकर उनसे गणेश आदि का पूजन कराते हैं। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					बरन्न					 :
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					पुं०=वर्ण। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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