शब्द का अर्थ
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					प्रचय					 :
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					पुं० [सं० प्र√चि (चयन करना)+अच्] १. वेद-पाठ विधि में एक प्रकार का स्वर जिसके उच्चारण के विधानानुसार पाठक को अपना हाथ नाक के पास ले जाने की आवश्यकता पड़ती है। २. बीजगणित में एक प्रकार का संयोग। ३. झुंड। दल। ४. ढेर। राशि। ५. बढ़ती। वृद्धि। ६. लकड़ी आदि की सहायता से फलों, फूलों आदि का होने वाला चयन।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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