शब्द का अर्थ
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					पूर्व-रंग					 :
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					पुं० [कर्म० स०] १. अभिनय में वह संगीत या स्तुति आदि दो नाटक आरंभ होने से पहले विघ्नों की शांति और दर्शकों को अनुरक्त करने के लिए होता है। यद्यपि इसके प्रत्याहार आदि अनेक अंग है; फिर भी इसमें नान्दी का होना परम आवश्यक है। २. रंग-शाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पूर्व-रंग					 :
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					पुं० [कर्म० स०] १. अभिनय में वह संगीत या स्तुति आदि दो नाटक आरंभ होने से पहले विघ्नों की शांति और दर्शकों को अनुरक्त करने के लिए होता है। यद्यपि इसके प्रत्याहार आदि अनेक अंग है; फिर भी इसमें नान्दी का होना परम आवश्यक है। २. रंग-शाला।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |