शब्द का अर्थ
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					पुणि					 :
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					अव्य० [सं० पुनर] पुनः। फिर। उदा०—परमेसर प्रणवि सरसति पुणि।—प्रिथीराज।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पुणि					 :
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					अव्य० [सं० पुनर] पुनः। फिर। उदा०—परमेसर प्रणवि सरसति पुणि।—प्रिथीराज।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पुणिंद					 :
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					पुं०=फणीन्द्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पुणिंद					 :
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					पुं०=फणीन्द्र।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |