शब्द का अर्थ
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					पीलु					 :
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					पुं० [सं०√पील (रोकना)+ड] १. दो-तीन हाथ ऊँचा एक तरह का क्षुप जिसमें पीले रंग के गुच्छाकार फूल तथा कालापन लिये हुए लाल रंग के छोटे-छोटे गोल फल लगते हैं। ३. उक्त क्षुप का फल। ४. पुष्प। फूल। ५. हाथी। ६. परमाणु। ७. तालु वृक्ष का तना। ८. हड्डी का टुकड़ा। ९. तीर। वाण। १॰. कृमि। कीड़ा। ११. चने का साग। १२. सरकंडे या सरपत का फूल। १३. लाल कटसरैया। १४. अखरोट का पेड़। १५. हाथ की हथेली।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पीलु					 :
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					पुं० [सं०√पील (रोकना)+ड] १. दो-तीन हाथ ऊँचा एक तरह का क्षुप जिसमें पीले रंग के गुच्छाकार फूल तथा कालापन लिये हुए लाल रंग के छोटे-छोटे गोल फल लगते हैं। ३. उक्त क्षुप का फल। ४. पुष्प। फूल। ५. हाथी। ६. परमाणु। ७. तालु वृक्ष का तना। ८. हड्डी का टुकड़ा। ९. तीर। वाण। १॰. कृमि। कीड़ा। ११. चने का साग। १२. सरकंडे या सरपत का फूल। १३. लाल कटसरैया। १४. अखरोट का पेड़। १५. हाथ की हथेली।				 | 
			
			
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					पीलु-पत्र					 :
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					पुं० [ब० स०] मोरट नाम की लता।				 | 
			
			
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					पीलु-पत्र					 :
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					पुं० [ब० स०] मोरट नाम की लता।				 | 
			
			
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					पीलु-पर्णी					 :
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					स्त्री० [ब० स०,+ङीष्] १. चुरनहार। मूर्वा। २. कुँदुरू।				 | 
			
			
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					पीलु-पर्णी					 :
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					स्त्री० [ब० स०,+ङीष्] १. चुरनहार। मूर्वा। २. कुँदुरू।				 | 
			
			
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					पीलु-पाक					 :
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					पुं० [ष० त०] वैशेषिक का यह सिद्धान्त कि तेज के प्रभाव से पदार्थों के परमाणु पहले अलग-अलग होते और फिर मिलकर एक हो जाते हैं। जैसे—कच्ची मिट्टी के घड़े का जब अग्नि या ताप से संयोग होता है तब पहले परमाणु अलग-अलग होते हैं और फिर लाल होने पर मिलकर एक हो जाते हैं।				 | 
			
			
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					पीलु-पाक					 :
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					पुं० [ष० त०] वैशेषिक का यह सिद्धान्त कि तेज के प्रभाव से पदार्थों के परमाणु पहले अलग-अलग होते और फिर मिलकर एक हो जाते हैं। जैसे—कच्ची मिट्टी के घड़े का जब अग्नि या ताप से संयोग होता है तब पहले परमाणु अलग-अलग होते हैं और फिर लाल होने पर मिलकर एक हो जाते हैं।				 | 
			
			
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					पीलु-मला					 :
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					स्त्री० [ब० स०,+टाप्] जवान गाय।				 | 
			
			
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					पीलु-मला					 :
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					स्त्री० [ब० स०,+टाप्] जवान गाय।				 | 
			
			
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					पीलु-मूल					 :
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					पुं० [ष० त०] १. पीलु वृक्ष की जड़। २. सतावर। ३. शाल-पर्णी।				 | 
			
			
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					पीलु-मूल					 :
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					पुं० [ष० त०] १. पीलु वृक्ष की जड़। २. सतावर। ३. शाल-पर्णी।				 | 
			
			
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					पीलुआ					 :
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					पुं० [देश०] मछली पकड़ने का बहुत बड़ा जाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					पीलुआ					 :
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					पुं० [देश०] मछली पकड़ने का बहुत बड़ा जाल।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					पीलुक					 :
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					पुं० [सं० पीलु√कै+क] च्यूँटा।				 | 
			
			
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					पीलुक					 :
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					पुं० [सं० पीलु√कै+क] च्यूँटा।				 | 
			
			
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					पीलुनी					 :
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					स्त्री० [सं०√पील+उन+ङीष्] १. चुरनहार। मूर्वा। २. चने का साग।				 | 
			
			
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					पीलुनी					 :
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					स्त्री० [सं०√पील+उन+ङीष्] १. चुरनहार। मूर्वा। २. चने का साग।				 | 
			
			
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					पीलुपाक-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०] वैशेषिकों का पीलुपाक-संबंधी। मत या सिद्धान्त।				 | 
			
			
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					पीलुपाक-वाद					 :
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					पुं० [ष० त०] वैशेषिकों का पीलुपाक-संबंधी। मत या सिद्धान्त।				 | 
			
			
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					पीलुपाकवादी (दिन्)					 :
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					वि० [पीलुपाकवादी+इनि, (बोलना)+णिनि] पीलुपाकवादा संबंधी। पुं० १. पीलु-पाक का सिद्धान्त माननेवाला व्यक्ति। २. वैशेषिक दर्शन का अनुयायी या पंडित।				 | 
			
			
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					पीलुपाकवादी (दिन्)					 :
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					वि० [पीलुपाकवादी+इनि, (बोलना)+णिनि] पीलुपाकवादा संबंधी। पुं० १. पीलु-पाक का सिद्धान्त माननेवाला व्यक्ति। २. वैशेषिक दर्शन का अनुयायी या पंडित।				 | 
			
			
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