शब्द का अर्थ
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					पितृ-याण					 :
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					पुं० [ष० त०] १. मृत्यु के अनंतर जीव के पर-लोक जाने का वह मार्ग जिससे वह चंद्रमा में पहुँचता है। कहते है कि इस मार्ग में जाने वाले मृत व्यक्ति की आत्मा को निश्चित काल तक स्वर्ग आदि में सुख भोगकर फिर संसार में आना पड़ता है। २. वह मार्ग जिस पर पितर चलते हैं और अपने लिए नियत लोकों में जाते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					पितृ-याण					 :
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					पुं० [ष० त०] १. मृत्यु के अनंतर जीव के पर-लोक जाने का वह मार्ग जिससे वह चंद्रमा में पहुँचता है। कहते है कि इस मार्ग में जाने वाले मृत व्यक्ति की आत्मा को निश्चित काल तक स्वर्ग आदि में सुख भोगकर फिर संसार में आना पड़ता है। २. वह मार्ग जिस पर पितर चलते हैं और अपने लिए नियत लोकों में जाते हैं।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |