शब्द का अर्थ
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					परार					 :
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					वि०=पराया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परारध					 :
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					पुं०=परार्द्ध।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परारबध					 :
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					पुं०=प्रारब्ध।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					परारि					 :
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					अव्य० [सं० पूर्वतर+अरि, नि० पर—आदेश] पूर्वतर वर्ष में। परियार साल।				 | 
			
			
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					परारु					 :
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					पुं० [सं० परा√ऋ (गति)+उण्] करेला।				 | 
			
			
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					परारुक					 :
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					पुं० [सं० परा√ऋ+उक] १. चट्टान। २. पत्थर।				 | 
			
			
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					परार्थ					 :
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					वि० [सं० पर-अर्थ, नित्य स०] [भाव० परार्थता] जो दूसरे के निमित्त हो। पुं० १. दूसरों का ऐसा काम जो उपकार की दृष्टि से किया जाता हो। २. दे० ‘परमार्थ।’				 | 
			
			
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					परार्थवाद					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] यह सिद्धांत कि जहाँ तक हो सके, दूसरों का उपकार करते रहना चाहिए। (एल्ट्रू इज़्म)				 | 
			
			
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					परार्थवादी (दिन्)					 :
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					वि० [सं० परार्थ√वद् (बोलना)+ णिनि] परार्थवाद-संबंधी। पुं० १. परार्थवाद का अनुयायी। २. वह जो सदा दूसरों का उपकार करता हो।				 | 
			
			
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					परार्द्ध					 :
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					पुं० [सं० अर्ध,√ऋधे (वृद्धि)+अच् पर-अर्ध, कर्म० स०] १. बादवाला आधा अंश। उत्तरार्द्ध। २. वह संख्या जिसे लिखने में अठारह अंक होते हैं। एक शंख। १॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰। ३. ब्रह्मा की आयु का परवर्ती आधा अंश।				 | 
			
			
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					परार्द्धि					 :
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					पुं० [सं० परा-ऋद्धि, ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					परार्ध्य					 :
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					वि० [सं० परार्ध+यत्] १. श्रेष्ठ। २. उत्तम। पुं० १. असीम संख्या। २. सबसे बड़ी वस्तु।				 | 
			
			
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