शब्द का अर्थ
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					पत्रा					 :
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					पुं० [सं० पत्र] १. तिथिपत्र। २. पुस्तक का पन्ना। पृष्ठ।				 | 
			
			
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					पत्राख्य					 :
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					पुं० [पत्र-आख्या, ब० स०] १. तेजपात। २.तालीशपत्र।				 | 
			
			
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					पत्रांग					 :
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					पुं० [पत्र-अंग, ब० स०] १. लाल चन्दन। २. पतंग या बक्कम नाम का वृक्ष। ३. भोजपत्र। ४. कमलगट्टा।				 | 
			
			
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					पत्रांगुलि					 :
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					स्त्री० [पत्र-अंगुलि, ब० स०] केसर, चन्दन आदि के लेप से किसी के ललाट मुख,कंठ आदि पर बनाये जानेवाले चिह्न या अलंकरण।				 | 
			
			
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					पत्राचार					 :
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					पुं० [पत्र-आचार, ष० त०] १. परस्पर एक दूसरे को पत्र लिखना; अथवा आये हुए पत्रों के उत्तर देना। २. इस प्रकार लिखे हुए पत्र।				 | 
			
			
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					पत्रांजन					 :
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					पुं० [पत्र-अंजन, ष० त०] स्याही।				 | 
			
			
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					पत्राढ्य					 :
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					पुं० [पत्र-आढ्य, तृ० त०] १. पीपलामूल। २. पर्वत नामक तृण। ३. लाल चन्दन। ४. पतंग। बकक्म। ५. नरसल। ६. तालीशपत्र।				 | 
			
			
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					पत्रान्य					 :
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					पुं० [सं० पत्रंग, पृषो० सिद्धि] १. पतंग। बक्कम। २. लाल चन्दन।				 | 
			
			
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					पत्रालय					 :
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					पुं० [पत्र-आलय, ष० त०] डाकखाना। डाकघर।				 | 
			
			
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					पत्रालाप					 :
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					पुं० [पत्र-आलाप, तृ० त०] पत्राचार (दे०)।				 | 
			
			
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					पत्राली					 :
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					स्त्री० [पत्र-आली, ष० त०] १.पत्रों की श्रृंखला। २. एक आकार के कटे हुए कोरे या निरंक कागज की वह गड्डी जिसके पत्रों पर चिट्ठियाँ लिखी जाती हैं। (पैड)				 | 
			
			
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					पत्रालु					 :
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					पुं० [सं० पत्र+आलुच्] १. कासालु। २. इक्षुदर्भ।				 | 
			
			
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					पत्रावली					 :
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					स्त्री० [पत्र-आवली, ष० त०] १. सजावट के लिए बनाई जानेवाली फूल-पत्तियाँ या बेल-बूटे आदि। पत्र-लता। २. सुगंधित द्रव्यों और रंगों से चेहरे पर की जानेवाली पत्र-रचना। (देखें) ३.गेरू।				 | 
			
			
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					पत्राहार					 :
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					पुं० [पत्र-आहार, ष० त०] पत्तों का किया जानेवाला भोजन।				 | 
			
			
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					पत्राहारी (रिन्)					 :
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					वि० [सं० पत्राहार+इनि] वृक्षों के पत्ते खाकर ही रहनेवाला।				 | 
			
			
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