शब्द का अर्थ
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					पटि					 :
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					स्त्री० [सं०√पट्+कन्] १. रंगीन कपड़ा या वस्त्र। २. जलकुंभी। ३. रंगमंच का परदा। यवनिका। ४. कनात।				 | 
			
			
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					पटि-क्षेप					 :
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					पुं०=पटाक्षेप।				 | 
			
			
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					पटिआ					 :
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					स्त्री०=पटिया।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					पटिका					 :
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					स्त्री० [सं० पटि+कन्—टाप्] १. कपड़ा। वस्त्र। २. कपड़े का टुकड़ा। वस्त्र। खंड।				 | 
			
			
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					पटिमा (मन्)					 :
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					स्त्री० [सं० पटु+इमनिच्] १. पटुता। दक्षता। २. कर्कशता। ३. रूखापन। ४. तेजी। उग्रता। ५. अम्लता।				 | 
			
			
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					पटिया					 :
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					स्त्री० [सं० पट्टिका ] १. पत्थर का आयताकार, चौरस या लंबा टुकड़ा जो साधारणतः डेढ़-दो इंच से मोटा नहीं होता। विशेष—यह फरश बनाने के लिए जमीन पर बिछाई जाती है और इससे छतें भी पाटी जाती हैं। २. लकड़ी का आयताकार चौरस छोटा टुकड़ा जिस पर बच्चे आदि लिखने का अभ्यास करते हैं। तख्ती। पाटी। ३. छोटा हेंगा। ४. लंबा किन्तु कम चौड़ा खेत का टुकडा। ५. सीधी लंबी रेखा या विभाग। उदा०—आठ हाथ की बनी चुनरिया पँच-रंग पटिया पारी।—कबीर। स्त्री० १. माँग या सीमन्त निकालकर झाड़े हुए बाल। पाटी। क्रि० प्र०—सँवरना। २. दे० ‘पाटी’।				 | 
			
			
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