शब्द का अर्थ
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					निष्कर					 :
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					वि० [सं० निर्-कर्, ब० स०] जिस पर कर या शुल्क न लगता हो। स्त्री० भूमि जिस पर कर न लगता हो। माफी।				 | 
			
			
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					निष्करुण					 :
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					वि० [सं० निर-करुण, ब० स०] जिसके हृदय में या जिसमें करुणा न हो। करुणा-रहित।				 | 
			
			
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					निष्कर्तन					 :
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					पुं० [सं० निर्√कृत् (काटना)+ल्युट्–अन] काट या फाड़ कर अलग करना।				 | 
			
			
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					निष्कर्म					 :
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					वि० [सं० निर्-कर्मन्, ब० स०] १. जो कोई कर्म न करता हो। २. जो कर्म करने पर भी उसमें आसक्ति न रखता हो या लिप्त न होता हो। अकर्मा।				 | 
			
			
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					निष्कर्मण्य					 :
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					वि० [सं० निर्-कर्मण्य, प्रा० स०] अकर्मण्य। निकम्मा।				 | 
			
			
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					निष्कर्मा (र्मन्)					 :
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					वि० [सं० निर-कर्मन्, ब० स०] १. जो कर्मों में लिप्त न हो। २. जो किसी काम का न हो। निकम्मा।				 | 
			
			
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					निष्कर्ष					 :
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					पुं० [सं० निस्√कृष् (खींचना)+घञ्] १. खींचकर निकालना या बाहर करना। २. खींच या निकालकर बाहर की हुई चीज या तत्त्व। ३. विचार-विमर्श, सोच-विचार आदि के उपरांत निकलनेवाला परिणाम या स्थिर होनेवाला सिद्धांत। (कन्क्लूजन) ४. निश्चय। ५. इस बात का विचार कि कोई चीज कितनी या कैसी है। ६. राजा या शासन का प्रजा को कष्ट देते हुए उससे धन खींचना या लेना।				 | 
			
			
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					निष्कर्षक					 :
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					वि० [सं० निस्√कृष्+ण्वुल्–अक] निष्कर्ष या निष्कर्षण करनेवाला।				 | 
			
			
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					निष्कर्षण					 :
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					पुं० [सं० निस्√कृष्+ल्युट्–अन] १. खींचकर निकालना या बाहर करना। २. दूर करना। ३. मिटाना। ४. घटाना।				 | 
			
			
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					निष्कर्षी (र्षिन्)					 :
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					पुं० [सं० निस्√कृष्+णिनि] एक प्रकार का मरुत्। वि०=निष्कर्ष।				 | 
			
			
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