शब्द का अर्थ
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					नारद					 :
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					पुं० [सं० नार=आत्मज्ञान√दा (देना)+क] १. एक प्रसिद्ध देवर्षि और भगवान के परम भक्त जो ब्रह्मा के पुत्र कहे गए हैं, और जिनका नाम अनेको आख्यानों, कथाओं आदि में आता है। २. उक्त के आधार पर ऐसा व्यक्ति जो प्रायः लोगों में लड़ाई-झगड़े कराता रहता हो। ३. विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम। ४. एक प्रजापति। ५. चौबीस बुद्धों में से एक बुद्ध। ६. कश्यप ऋषि की संतान, एक गन्धर्व। ७. शाक द्वीप का एक पर्वत।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					नारद-पुराण					 :
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					पुं० [सं० मध्य स०] १. अठारह पुराणों में से एक जिसमें सनकादिक ने नारद को संबोधन करके अनेक कथाएँ कही हैं और उपदेश दिए हैं। इसमें तीर्थों और व्रतों के माहात्मय बहुत अधिक हैं। २. एक-उपपुराण, जिसे बृहन्नारदीय भी कहते हैं।				 | 
			
			
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					नारदी (दिन्)					 :
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					पुं० [सं० नारद+इनि] विश्वामित्र के एक पुत्र का नाम।				 | 
			
			
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					नारदीय					 :
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					वि० [सं० नारद+छ–ईय] नारद का। नारद-संबंधी। जैसे–नारदीय पुराण।				 | 
			
			
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