शब्द का अर्थ
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					नकुल					 :
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					पुं [सं० ब० स०] १. नेवला। २. माद्री के गर्भ से उत्पन्न युधिष्ठिर, अर्जुन, और भीम के सौतेले भाई। ३. पुत्र। बेटा। ४. शिव। ५. एक प्रकार का पुराना बाजा। पुं० =दे० ‘नुकल।’(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					नकुल-कंद					 :
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					पुं० [मध्य० स०] गंधनाकुली या रास्ता (कंद)।				 | 
			
			
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					नकुल-तैल					 :
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					पुं० [मध्य० स०] वैद्यक में, एक प्रकार का तैल जो नेवले के मांस में बहुत सी दूसरी औषधियाँ मिलाकर बनाया जाता है। इसका उपयोग आमवात, अंगों का कंप और कमर, पीठ, जाँघ आदि के दर्द में होता है।				 | 
			
			
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					नकुलक					 :
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					पुं० [सं० नकुल-कन्] १. प्राचीन काल का एक प्रकार का गहना। २. रुपए आदि रखने की एक प्रकार की थैली।				 | 
			
			
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					नकुला					 :
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					स्त्री० [सं० नकुल+टाप्] पार्वती। वि० स० ‘नकुल’ का स्त्री०। पुं० =नाक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					नकुलाढ्या					 :
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					स्त्री० [सं० नकुल-आढ्या, तृ० त०] गंधनाकुली। नकुलकंद।				 | 
			
			
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					नकुलांध					 :
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					पुं० [नकुल-अंध, उपमित स०] सुश्रुत के अनुसार आँख का एक रोग जिसमें आँखें नेवले की आँखों की तरह चमकने लगती हैं और चीजें रंग-बिरंगी दिखाई देने लगती हैं। वि० जिसे उक्त प्रकार का रोग हो।				 | 
			
			
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					नकुलांधता					 :
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					स्त्री० [सं० नकुलांध+तल्—टाप्] नकुलांध रोग होने की अवस्था या भाव।				 | 
			
			
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					नकुली					 :
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					स्त्री० [सं० नकुल+ङीष्] १. जटामासी। २. केसर। ३. शंखिनी। ४. नेवले की मादा।				 | 
			
			
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					नकुलीश					 :
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					पुं० [सं०] नकुलेश।				 | 
			
			
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					नकुलेश					 :
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					पुं० [सं०] तांत्रिकों के एक भैरव का नाम।				 | 
			
			
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					नकुलेष्टा					 :
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					स्त्री० [सं० नकुल-इष्टा, ष० त०] रास्ना। रायसन।				 | 
			
			
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					नकुलौष्ठी					 :
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					स्त्री० [सं०] प्राचीन काल का एक प्रकार का बाजा, जिसमें बजाने के लिए तार लगे हुए होते थे।				 | 
			
			
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