| शब्द का अर्थ | 
					
				| धीर 					 : | वि० [सं० धी√रा (देना)+क] १. (व्यक्ति) जो शांत स्वभाव वाला हो तथा जो विपरीत परिस्थितियों में भी जल्दी उद्विग्न या विचलित न होता हो। २. ठहरा हुआ। ३. बलवान्। शक्तिशाली। ४. नम्र। विनीत। ५. गंभीर। ६. मनोहर। सुन्दर। ७. धीमा। पुं० १.केसर। २. मंत्र। ३. समुद्र। ४. पंडित। विद्वान। ५. ऋषभ नाम की औषधि। ६. राजा बलि का एक नाम। ७. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में कृमशः तीन तगड़ और दो गुरु होते हैं। पुं० [सं० धैर्य] १. धैर्य। धीरज। २. मन की शांति या स्थिरता। ३. संतोष। सब्र। क्रि० प्र०—धरना। | 
			
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				| धीर-चेता (तस्) 					 : | पुं० [ब० स०] दृढ़ तथा स्थिर चित्तवाला। | 
			
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				| धीर-पत्री 					 : | स्त्री० [ब० स०, ङीष्] जमीकंद। | 
			
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				| धीर-प्रशांत 					 : | पुं०=धीर-शांत। | 
			
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				| धीर-ललित 					 : | पुं० [कर्म० स०] साहित्य में, वह नायक जो हँसमुख और कोमल स्वभाववाला हो, विभिन्न कलाओं से प्रेम करता हो और सुखी तथा संपन्न हो। जैसे—स्वप्नवासवदत्ता का नायक उदयन। | 
			
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				| धीर-शांत 					 : | पुं० [कर्म० स०] साहित्य में, वह नायक जिसमें सभी सामान्य गुण हों अर्थात जो दयालु, वीर, शांत और सुशील हो। जैसे—‘मालती माधव’ का नायक माधव। | 
			
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				| धीरक 					 : | पुं०=धीरज (धैर्य)।b | 
			
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				| धीरज					 : | पुं० [सं० क्षीरज] १. चन्द्रमा। २. दही। | 
			
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				| धीरज 					 : | पुं०=धैर्य।a | 
			
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				| धीरजमान 					 : | पुं०=धैर्यवान्। | 
			
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				| धीरट 					 : | पुं० [?] हंस पक्षी। (डिं०) | 
			
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				| धीरता 					 : | स्त्री० [सं० धीर+तल—टाप्] १. धीर होने की अवस्था, गुण या भाव। धैर्य २. स्थिरता। ३. संतोष। सब्र। ४. चातुर्य। चालाकी। ५. पांडित्य। विद्वता। | 
			
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				| धीरत्व 					 : | पुं० [सं० धीर+त्व]=धीरता। | 
			
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				| धीरा 					 : | स्त्री० [सं० धीर+टाप्] १. साहित्य में वह नायिका जो अपने प्रेमी के शरीर पर स्त्री-रमण के चिह्न देखकर शांत भाव से व्यंग्यपूर्ण शब्दों से कोप प्रकट करे। २. गिलोय। गुडुच। ३. काकोली। ४. मालकंगनी। वि०=धीमा।a पं०=धीरज।a | 
			
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				| धीराधीरा 					 : | स्त्री० [धीरा-अधीरा कर्म० स०] साहित्य में, वह नायिका जो अपने नायक के शरीर पर परस्त्री रमण के चिह्न देखकर कुछ गुप्त और कुछ प्रकट रूप से रोष प्रकट करती हो। | 
			
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				| धीरावी 					 : | स्त्री० [सं० धीर√अव् (प्रसन्न करना)+अण्—ङीप्] शीशम का पेड़। | 
			
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				| धीरी 					 : | स्त्री [?] आँख की पुतली। | 
			
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				| धीरे 					 : | क्रि० वि० [हिं० धीर] १. धीमी या मंद गति से। आहिस्ता। २. नीचे या हलके स्वर में। जैसे—बालिका धीरे बोलती है। ३. इस ढंग या प्रकार से कि जल्दी किसी को पता न चले। चुपके से। जैसे—वह धीरे से कपड़ा उठाकर चल दिया। | 
			
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				| धीरे-धीरे 					 : | अव्य० [हिं०] १. हलकी चाल से। २. मंद स्वर में। ३. समीचीन गति से। जैसे—यह काम धीरे-धीरे करना चाहिए। | 
			
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				| धीरोदात्त 					 : | पुं० [धीर-उदात्त कर्म० स०] १. साहित्य में, वह नायक जो अपनी भावनाओं पर पूर्ण नियंत्रण रखता हो तथा जो क्षमावान, गम्भीर, दृढ़-प्रतिज्ञ और विनयी हो। जैसे—रामचरित का नायक। २. वीर रस प्रधान नाटक का मुख्य नायक। | 
			
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				| धीरोद्धत 					 : | पुं० [सं० धीर-उदात्त कर्म० स०] साहित्य में, वह नायक जो बहुत असहिष्णु, उग्र स्वभाव का तथा सदा अपने गुणों का बखान करता रहता हो। | 
			
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				| धीरोष्णि (ष्णिन्) 					 : | पुं० [सं०] एक विश्वदेव। | 
			
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				| धीर्य 					 : | पुं० [सं० धीर+यत्] कातर। पुं०=धैर्य। | 
			
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