| शब्द का अर्थ | 
					
				| धिक् 					 : | अव्य० [सं०√धक्क् (धरण या नाश)+डिकन्] घृणा और तिरस्कारपूर्वक भर्त्सना करने का शब्द। लानत है। जैसे—धिक् तुमने ऐसा दुष्कर्म किया। | 
			
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				| धिक्-पारुष्य 					 : | पुं० [सं० व्यस्त पद] धिक्कार। भर्त्सना। | 
			
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				| धिक्कार 					 : | स्त्री० [सं० धिक्-कार ष० त०] बहुत ही बुरा काम करनेवाले अथवा अपने कर्तव्य का निर्वाह न करनेवाले व्यक्ति का अपमान सूचक शब्दों में की जाने वाली भर्त्सना। लानत। विशेष—संस्कृत में धिक्कार पुं० है। अव्य० दे० ‘धिक’। | 
			
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				| धिक्कारना 					 : | स० [सं० धिक्कार] अनुचित या दूषित काम करनेवाले की कठोर तथा अपमान-सूचक शब्दों में निन्दा करना। जैसे—इस देश-द्रोही को देश एक स्वर में धिक्कार रहा है। | 
			
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				| धिक्कृत 					 : | भू० कृ० [सं० धिक्√कृ (करना)+क्त] जो धिक्कारा गया हो। जिसे ‘धिक’ कहा गया हो। | 
			
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